मध्य प्रदेश के छतरपुर की चर्चित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को हाईकोर्ट से सीधी राहत नहीं मिली है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निशा बांगरे के इस्तीफे के मामले में राज्य शासन को निर्देश दिए हैं कि, वह लंबित जांच पर जरूरी कार्रवाई करे. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को निर्धारित की है.
दरअसल, बैतूल निवासी डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की याचिका पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 25 सितंबर को एक आर्डर पास किया था. कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए थे कि, यदि निशा बांगरे अपने खिलाफ लगे आरोपों को स्वीकार करती हैं, तो उनके ऊपर लंबित अनुशासनात्मक कार्रवाई 10 दिन में पूरी करें. इसके बाद निशा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकर कर लिया था.
इसी बीच राज्य सरकार ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील पेश कर दी. 10 अक्टूबर को चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने एकलपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. मामले पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान निशा की ओर से बताया गया कि, उन्होंने बिना शर्त आरोप स्वीकार कर लिया है. इसके बाद कोर्ट ने शासन को कार्रवाई आगे बढ़ाने के निर्देश दिए. वहीं शासन की ओर से बताया गया कि, निशा ने इस बीच पुनः धरना-प्रदर्शन किया है और उनका आचरण लगातार अनुचित रहा है. कोर्ट ने इस पर सरकार को नए आरोप लगाने की स्वतंत्रता दी है.
दरअसल, छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था. इस दौरान उन्होंने आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृह प्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी. सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी, जिससे नाराज होकर उन्होंने 22 जून 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था. तब से यह मामला गरमाया हुआ है. चर्चा है कि निशा बांगरे कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है.