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उन्होंने अपनी होने वाली दूसरी पत्नी नीला देवी से वादा लिया था कि वह जीवनभर उनके और गीता के बच्चों को अपने बच्चों की तरह ही मानेंगी और कभी भी अपने बच्चों को जन्म नहीं देंगी
बॉलीवुड की बात हो और कपूर परिवार का जिक्र ना हो ऐसा असंभव है, इस परिवार ने देश को कई बड़े सितारे दिए हैं और सभी एक दूसरे से बेहतर हैं। इस परिवार के एक सितारे ने बॉलीवुड में रॉमकॉम की शुरुआत की थी, जो गानों पर उछल-कूद कर डांस करते थे और कभी अपनी एनर्जी से दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर देते थे तो कभी अपनी नीली आंखों से प्यार का ऐसा इजहार करते थे कि लोग उनके दीवाने हो जाते थे। हम बात कर रहे हैं शम्मी कपूर की, जिन्होंने बॉलीवुड के दुखी, गरीब और गंभीर हीरो की छवि को एक कूल, मजाकिया, डांसर और लड़कियों से मीठी-मीठी बातें करने वाले हीरो में बदल दिया।
शम्मी कपूर को अपनी सहकर्मी, फिल्म अभिनेत्री और फिल्म निर्माता गीता बाली को प्यार हो गया। लेकिन पिता पृथ्वीराज कपूर को ये मंजूर नहीं था कि सिनेमा में काम करने वाली कोई लड़की उनकी बहू बने। फिर शम्मी कपूर ने परिवार के खिलाफ जाकर गीता बाली से शादी कर ली। लेकिन किस्मत को ये प्रेम कहानी मंजूर नहीं थी, साल 1965 में चेचक की महामारी ने गीता की जान ले ली। गीता की मौत से शम्मी कपूर को गहरा सदमा लगा था। वह बहुत दुखी रहने लगा। फिर परिवार वालों ने शम्मी को दोबारा शादी के लिए मना लिया।
शम्मी कपूर दिल से गीता बाली को नहीं भूल सके लेकिन उनके परिवार वालों ने उन्हें यह वादा करके शादी के लिए मना लिया कि वह अपने बच्चों के लिए मां लाएंगे। शम्मी शादी के लिए तो राजी हो गए लेकिन उन्होंने एक बेहद अजीब और मुश्किल शर्त रख दी। उन्होंने अपनी होने वाली दूसरी पत्नी नीला देवी से वादा लिया था कि वह जीवनभर उनके और गीता के बच्चों को अपने बच्चों की तरह ही मानेंगी और कभी भी अपने बच्चों को जन्म नहीं देंगी। नीला देवी ने शम्मी की इस शर्त को स्वीकार कर लिया और जीवन भर इसे निभाया।
शम्मी कपूर ने अपने जीवन के आखिरी समय में भी पर्दे पर काम किया। उनकी आखिरी फिल्म रणबीर कपूर की ‘रॉकस्टार’ थी, जो साल 2011 में रिलीज हुई थी। जवानी के दिनों में उन्होंने ‘जंगली’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘प्रिंस’ और ‘राजकुमार’ जैसी फिल्मों से लोगों का दिल जीता। ‘प्रेम रोग’ और ‘विधाता’ में उनके साइड रोल यादगार हैं।