140 किलो तांबा, 7 किलो सोना, 155 किलो की रामचरित मानस

दुनिया में ईश्वरीय आस्था का अनूठा उदाहरण बने आईएएस लक्ष्मी नारायणन

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भोपाल। तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा, इसी ईश्वरीय भावों के साथ आध्यात्म के मार्ग पर चल रहे एस.लक्ष्मीनारायणन अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पांच करोड़ रुपए के खर्चे से तैयार 151 किलो की श्रीरामचरित मानस की प्रतिष्ठा कराएंगे। केंद्र सरकार में गृह सचिव रह चुके आईएएस लक्ष्मीनारायण अपनी जीवनभर की कमाई प्रभु श्रीराम के चरणों में अर्पित करने जा रहे हैं। दुनिया में ईश्वरीय आस्था एवं सामाजिक सेवा का अनूठा उदाहरण बने हैं। लक्ष्मीनारायणन कहते हैं जो ईश्वर से मिला, मैं वही रामचरित मानस के रूप में प्रभु को लौटा रहा हूं। 140 किलो तांबा और 7 किलो सोने से बनेगी रामचरितमानस रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एस. लक्ष्मी नारायणन द्वारा अर्पित की जा रही रामचरितमानस में 10,902 पदों वाले इस महाकाव्य के सभी पन्ने तांबे से बनाए जाएंगे। पन्ने को 24 कैरेट सोने में डुबोकर स्वर्ण जड़ित अक्षर लिखकर तैयार किए जाएंगे। इस रामचरितमानस को तैयार करने में 140 किलो तांबा और लगभग सात किलो सोना लगेगा। इसके अलावा सजावट के लिए अन्य धातुओं तथा रत्नों का उपयोग भी किया जाएगा। रामचरितमानस के निर्माण में लगभग 5 करोड़ खर्च होंगे। रामचरित मानस को तैयार करने के लिए लक्ष्मीनारायणन ने अपनी सभी संपत्तियों को बेचने का फैसला किया है। रामचरितमानस को देश की जानी मानी कंपनी वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स तैयार करेगी। इसी कंपनी ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल (राजदंड) को भी तैयार किया है। जो ईश्वर ने दिया, वही लौटा रहा हूं रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एस. लक्ष्मी नारायणन मध्य प्रदेश कैडर के वर्ष 1970 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। लक्ष्मीनारायणन का पैतृक निवास चेन्नई में है। जबकि उनका जन्म दिल्ली में हुआ। वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं। धर्मपत्नी सरस्वती गृहणी हैं। उनके पिता सुब्रमण्यम केंद्र सरकार में सचिव थे। एस. लक्ष्मी नारायणन के अनुसार, ईश्वर ने उन्हें जो कुछ दिया, वही वह ईश्वर के चरणों में समर्पित कर रहे हैं। – सेवानिवृत्ति के बाद भी सतत जन सेवा में सक्रिय मध्य प्रदेश केडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी एस लक्ष्मी नारायण मृदुभाषी और संवेदनशील अधिकारी के रूप में पहचाने जाते हैं। मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के सचिव पद पर रहते हुए उन्होंने एक अलग पहचान बनाई। सेवा निवृत्ति के बाद भी जन सेवा के कार्यों में लगातार सक्रिय रहते हैं। हंसमुख मिलनसार संवेदनशील एवं धर्म परायण एस लक्ष्मी नारायण पूर्णता शाकाहारी हैं। कई संस्थाओं के अध्यक्ष पद पर रहते हुए सतत क्रियाशील हैं। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल के संचालक हैं। जिस भी माध्यम से उन्हें सेवा करने का जो अवसर मिलता है। वह नर को नारायण मानते हुए हमेशा लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। इतने बड़े पदों पर रहते हुए भी सदैव सहज और सरल रहते हैं। इस उम्र में भी वह पूरी तरह से सक्रिय हैं। मानव जीवन में रहते हुए उन्होंने अपना सारा जीवन धर्म,अर्थ और काम के तीनों पुरुषार्थों को आचरण में उतार कर पालन किया है। वर्तमान समय में ऐसे लोग बिरले होते हैं। एस लक्ष्मी नारायण की सेवाएं और उनके कार्य सभी के लिए आदर्श हैं।

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