26/11 Attack: मुंबई को दहलाने की साजिश से लेकर 60 घंटों की दहशतगर्दी तक, तस्वीरों के जरिए जानें सब कुछ

26/11 हमले की आज बरसी

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मुंबई। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले की रविवार को 15वीं बरसी है। पाकिस्तान से नाव में आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने करीब 60 घंटे तक मायानगरी को बंधक बनाए रखा था। आतंकियों ने इस दौरान 160 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने नौ आतंकियों को मौके पर ढेर कर दिया था, जबकि एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था।
आज हम आपको ग्राफिक्स के जरिए बता रहे हैं कि मुंबई में उस दिन क्या हुआ था…? मुंबई में किन जगहों पर हमले हुए थे? किन आतंकियों ने हमला किया था? जवाबी कार्रवाई क्या हुई थी? घटनास्थलों से क्या बरामद हुआ था?

आतंकियों को कराची से मिल रहा था निर्देश 
तारिक खोसा ने यह भी खुलासा किया था कि आतंकियों ने मुंबई पहुंचने के लिए पाकिस्तानी नावों के साथ-साथ भारतीय नावों का भी इस्तेमाल किया था। आतंकियों ने मुंबई आने के लिए जिस बोट का इस्तेमाल किया था, उसे कराची के एक शॉप से खरीदा गया था। लश्कर के ही आतंकियों ने उसे खरीदा था। जांचकर्ताओं के मुताबिक, आतंकियों को कराची में बैठे उनके आकाओं द्वारा लगातार निर्देश दिया जा रहा था। हालांकि वो खुफिया तरीके से एक-दूसरे से संपर्क में थे।

ट्रेनिंग के लिए लश्कर में शामिल हुआ था कसाब 
पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी के पूर्व प्रमुख तारिक खोसा ने डॉन अखबार के लिए एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने कई खुलासे किए थे। उनके मुताबिक, जांच में ये बातें सामने आई थीं कि कसाब पाकिस्तान का ही रहने वाला था और उसकी प्राथमिक शिक्षा वहीं पर हुई थी। बाद में वो प्रतिबंधित आतंकी संगठन में शामिल हो गया था। जांचकर्ताओं के मुताबिक, कसाब की ट्रेनिंग सिंध प्रांत के थाट्टा में एक ट्रेनिंग कैंप में हुई थी, जहां लश्कर के आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है। मुंबई हमले में मिले हथियार और बम इसी ट्रेनिंग कैंप के थे।

हमले वाली रात की कहानी 
मुंबई पुलिस के पूर्व एएसआई मोहन शिंदे बताते हैं कि वे उस समय आजाद मैदान पुलिस थाने में हेड कॉन्सटेबल के पद पर तैनात थे। जब आतंकी अबु इस्माइल और कसाब कामा अस्पताल में घुसने की कोशिश कर रहे थे, तब उन्होंने आतंकियों ने काफी देर तक बाहर ही उलझाए रखा, ताकि लोगों को अस्पताल से बाहर निकाला जा सके। इस दौरान उन्हें गोली भी लगी। उन्होंने भी कई फायर किए, लेकिन आतंकी बच निकलने में कामयाब रहे। हालांकि, इस मुठभेड़ में कांस्टेबल विजय खांडेकर और एसआई प्रकाश मोरे शहीद हो गए। इसके अलावा आतंकियों के हमले में एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, पीआई विजय सालसकर और अतिरिक्त कमिश्नर अशोक कामते भी शहीद हो गए।

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