जबलपुर। मध्य प्रदेश में फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट आने में हो रही देरी के चलते मामले भी लंबित हो रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के 3 जिलों में फॉरेंसिक लैब के निर्माण की प्रक्रिया की जा रही है। इसमें इसमें रीवा और रतलाम में फोरेंसिक और जबलपुर में डीएनए लैब के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है। अनुमान है कि इन शहरों में लैब के संचालित होने पर जांच टीमों को जल्द ही रिपोर्ट मिल सकेंगी।
आधुनिक उपकरणों की भी खरीदी हो चुकी है
प्रदेश के इन 3 शहरों में तीन नई लैब खोले जाने के बाद विभिन्न प्रकार के सैंपल जांच के मामले में तेजी आएगी। फिलहाल देखा जाए तो फोरेंसिक जांच के मामलों के निपटारे में अभी लंबा समय लग रहा है। फोरेंसिक की जो नई लैब की शुरुआत होनी है इसमें पद भी स्वीकृत हैं और आधुनिक उपकरणों की भी खरीदी हो चुकी है। वहीं सागर, भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में फॉरेसिंक लैब पहले से काम कर रही हैं।
मामलों में विसरा जांच अनिवार्य
सागर जिले में तो सबसे पुरानी लैब है, हालांकि फॉरेंसिक लैब की संख्या कम होने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। सबसे ज्यादा विसरा की जांच रिपोर्ट आने में समय लगता है। विसरा की जांच में ही किसी के मौत की वजह स्पष्ट होती है। संदिग्ध मौत के मामलों में तो विसरा जांच अनिवार्य है।
लैब में जहर संबंधी सैंपल की जांच होती है
जानकारी के अनुसार इन तीन स्थानों पर जो लैब खोली जा रही है, जिसमें बायोलॉजिकल, केमिकल और टॉक्सिकोलॉजिकल जांच होंगी। टॉक्सिकोलॉजिकल लैब में जहर संबंधी सैंपल की जांच होती है। स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब के डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला का कहना है कि तीन नई लैब की शुरुआत की जानी है। निर्माण पूरा हो चुका है। इनकी शुरुआत होने से फॉरेंसिक लैब में जो सैंपल जांच के लिए आते हैं, उनकी रिपोर्ट आने में समय नहीं लगेगा।