पाकिस्तान- बीमारी से 3 सौ बच्चों की मौत,18 हजार बीमार, अस्पतालों में न दवाईयां हैं और न ही डॉक्टर

बच्चे खाँसी और फेफड़ों में खिंचाव की समस्या से ग्रसित

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इस्लामाबाद। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के अस्पतालों में न दवाईयां हैं और न ही डॉक्टर। हालात इतने खराब है कि बीमारों का इलाज भी नहीं हो पा रहे है। स्वास्थ सुविधाएं ध्वस्त हो गई है। मीडिया में जो रिपोर्ट आ रहीं हैं वो काफी डराने वाली हैं। जिसमें कहा जा रहा है कि निमोनिया से एक महीने से एक ही राज्य में हाहाकार मचा हुआ है। अब तक 3 सौ बच्चों की मौत् हो गई और 18 हजार से अधिक बच्चे बीमार है करीब 18000 बच्चे बीमार हुए हैं, जबकि इनमें से 300 की मौत हो गई है। पाकिस्तानी मीडिया ने कहा गया है कि सिर्फ जनवरी में पूर्वी पंजाब में निमोनिया से लगभग 300 बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 18,000 से अधिक बच्चे इस बीमारी के शिकार हुए हैं। स्वास्थ्य संकट को देखते हुए प्रांतीय सरकार ने स्कूल की छुट्टियां बढ़ा दीं, कक्षा के घंटों में कटौती की है और चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। यूनिसेफ के अनुसार, बचपन में निमोनिया से होने वाली लगभग आधी मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी होती हैं।

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि लाहौर के चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में हर दिन सैकड़ों मामले आ रहे हैं। चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती अधिकांश बच्चे खाँसी और फेफड़ों में खिंचाव की समस्या से ग्रसित हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही हैं। अधिक सर्दी और प्रदूषण के कारण जो दमघोंटू धुंध बने हैं उससे समस्या और बढ़ गई है। सरकारी टीकाकरण दरों में भी कमी देखी गई है। पाकिस्तान के पूर्वी मेगासिटी में हर सर्दी में धुंध का स्तर दुनिया में सबसे खराब स्तर पर पहुंच जाता है। डॉक्टरों ने कहा है कि बारिश आम तौर पर राहत लाती है और प्रदूषण के कणों को सोख लेती है, लेकिन पाकिस्तान ने असामान्य रूप से शुष्क और ठंडी सर्दी का सामना किया है।

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