गांवों में 40.5 और शहरों में 45.5 प्रतिशत ने चुना आयुर्वेद को

पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का चलन काफी मजबूत

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देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 40.5प्रतिशत और शहरों में 45.5प्रतिशत लोगों ने इलाज के लिए आयुर्वेद की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को चुना। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में करीब 46 प्रतिशत ग्रामीण और 53प्रतिशत शहरी लोगों ने बीमारियों से बचाव या इलाज के लिए किसी न किसी आयुष पद्धति का सहारा लिया। इनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय आयुर्वेद है।
भारत में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का चलन काफी मजबूत है। आयुष आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी – इन छह प्रमुख चिकित्सा पद्धतियों का देशभर में खूब इस्तेमाल होता है। सर्वे में ये भी पता चला है कि भारत में 15 साल से ज्यादा उम्र के करीब 95प्रतिशत ग्रामीण आयुष के बारे में जानते हैं, जबकि शहरों में ये आंकड़ा 96प्रतिशत है। इतना ही नहीं, सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण और शहरी भारत में क्रमशः 79प्रतिशत और 80प्रतिशत घरों में कम से कम एक व्यक्ति को औषधीय पौधों और घरेलू दवाओं की जानकारी है। सरकारी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में करीब 24 प्रतिशत घरों में कम से कम एक व्यक्ति को लोक चिकित्सा या लोकल इलाज पद्धतियों की जानकारी है। ये जानकारी राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा जुलाई 2022 से जून 2023 तक कराए गए पूरे भारत में आयुष को लेकर किए गए पहले सर्वे का हिस्सा है।
ये सर्वे राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 79वें दौर का हिस्सा था। इस सर्वेक्षण में पूरे देश को कवर किया गया था, जिसमें 181,298 घरों से जानकारी जुटाई गई थी, जिनमें 104,195 ग्रामीण क्षेत्रों और 77,103 शहरी क्षेत्रों के घर शामिल थे। सर्वे के मुताबिक, पिछले एक साल में आयुष का इस्तेमाल करने वालों ने कई कारण बताए। इनमें सबसे अहम रहीं – आयुर्वेद जैसी पारंपरिक दवाओं का ज्यादा कारगर होना, इनके कम साइड इफेक्ट्स होना, मरीज की जरूरत के हिसाब से इलाज मिलना और पहले के अच्छे अनुभव।

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