चयनित पटवारियों की नियुक्ति का रास्ता साफ, जांच आयोग ने दी क्लीन चिट, जल्द होंगी नियुक्तियां
ग्रुप-2 और सब ग्रुप-4 के रिजल्ट भी घोषित होंगे
भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले साल हुई पटवारी भर्ती परीक्षा में चयनित हुए अभ्यर्थियों के लिए खुशखबरी है। जांच आयोग ने पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोपों को गलत पाया है। इसके बाद जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने संबंधित विभागों को आदेश जारी करते हुए पटवारी की जल्द नियुक्तियां करने के लिए गुरुवार को आदेश जारी कर दिया। इसके साथ-साथ ग्रुप-2 सबग्रुप-4 के चयनित अभ्यर्थियों की जल्द नियुक्ति के लिए कहा गया है।
पटवारी भर्ती परीक्षा का रिजल्ट 30 जून 2023 में आया था। धांधली के आरोप लगे तो तत्कालीन शिवराज सरकार ने जांच होने तक नियुक्ति पर रोक लगाते हुए रिजल्ट होल्ड कर दिया था। 13 जुलाई 2023 की शाम शिवराज सिंह चौहान ने एक्स पर लिखा था कि इस परीक्षा में एक सेंटर के रिजल्ट पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। लिहाजा इस परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियां अभी रोक रहा हूं। सेंटर के रिजल्ट का पुन: परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्यवाही होगी। 19 जुलाई 2023 में जांच के लिए आयोग गठित किया गया। जांच 8 महीने चली। जस्टिस राजेंद्र वर्मा ने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी।
9 लाख 78 हजार 270 ने दी थी परीक्षा
नवंबर 2022 में पटवारी सहित ग्रेड-3 के 9200 पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने नोटिफिकेशन जारी किया था। 15 मार्च से 26 अप्रैल तक 78 परीक्षा सेंटर पर परीक्षाएं हुईं। इस परीक्षा के लिए 12 लाख 7963 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। 9 लाख 78 हजार 270 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए। 30 जून 2023 को रिजल्ट आया। 8617 चयनित अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट जारी हुई। बाकी पदों के रिजल्ट रोके गए, लेकिन इसी दौरान ग्वालियर के एक ही सेंटर एनआरआई कॉलेज से 10 में 7 टॉपर के नाम सामने आने के बाद परीक्षा पर सवाल उठने लगे। परीक्षा में धांधली के आरोप लगाते हुए लाखों छात्र प्रदेश के शहरों में सडक़ों पर उतर गए। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले युवाओं की नाराजगी को भांपते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 जुलाई 2023 की शाम को परीक्षा की जांच कराने की घोषणा कर दी। 19 जुलाई 2023 को जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया। आयोग को जांच के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया गया, लेकिन इसके बाद जांच आयोग का कार्यकाल पहले 31 अक्टूबर और फिर 15 दिसंबर तक बढ़ गया। इसके बाद नई सरकार में कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया।
8 महीने तक चली जांच
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा सहित अन्य संभागों के छात्रों ने जांच आयोग के दफ्तर में आकर बयान दर्ज कराए। छात्रों ने परीक्षा में धांधली की आशंका वाले कई तथ्य पेश किए, लेकिन इनके पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए। जस्टिस वर्मा खुद अलग-अलग परीक्षा सेंटर पर गए। जस्टिस वर्मा ने ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज सहित कुछ दूसरे परीक्षा सेंटर्स की भी जांच की। इसमें व्यापमं से मांगी गई जानकारी से यहां की पूरी प्रक्रिया को वेरिफाई किया गया। इसमें बताया गया है कि किसी खास सॉफ्टवेयर की मदद से यदि कोई सिस्टम को रिमोट पर ले लें, बस यही धांधली की आशंका है। बाकी सिक्योरिटी प्रोटोकॉल में कहीं कोई गड़बड़ी नजर नहीं आ रही है, लेकिन सिस्टम को रिमोट पर लिए जाने के संबंध में कोई पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो सका है।
कांग्रेस ने की सीबीआई जांच की मांग
पटवारी भर्ती घोटाले के मामले में क्लीन चिट देने पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इसे लाखों छात्रों के साथ अन्याय बताते हुए सवाल उठाए है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि व्यापम 1 और व्यापम 2 की तरह ही पटवारी भर्ती घोटाला हुआ है। सरकार ने जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने का काम किया है। यादव ने कहा कि पटवारी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच होना चाहिए।