CAPF: केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में लोहे के संदूक को बाय-बाय, जवानों को मिलेगा ट्रॉली वाला मॉडर्न सूटकेस
नई दिल्ली। केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीएपीएफ’ के तहत आने वाले असम राइफल, बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एनएसजी और एसएसबी के जवानों को अब लोहे के संदूक से निजात मिलेगी। इन जवानों को अब पांच साल की वारंटी वाला मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली, मुहैया कराया जाएगा। खास बात है कि जवानों को लोहे के ट्रंक के बदले जो स्मार्ट सूटकेस मिलेगा, उसे कई तरह के परीक्षणों से गुजरना होगा। हालांकि अर्धसैनिक बलों के लिए इस सूटकेस को खरीदने का प्रपोजल लंबे समय से चल रहा था। इस दिशा में कई तरह के टेस्ट, जैसे सरफेस हार्डनेस टेस्ट, हैंडल जर्क टेस्ट और स्टेंडिंग पुल हैंडल जर्क टेस्ट आदि हो चुके हैं। अब बहुत जल्द सीएपीएफ जवान, स्मार्ट सूटकेस संग नजर आएंगे।
इस ट्रॉली सूटकेस पर पांच साल की वारंटी मिलेगी। सभी बल, अपनी आवश्यकता के अनुसार इसकी खरीद कर सकते हैं। हालांकि खरीदने से पहले सूटकेस को कई तरह के मुश्किल परीक्षणों से गुजरना पड़ेगा। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ सहित सभी दूसरे बलों के जवानों यह स्मार्ट सूटकेस मुहैया कराया जाएगा। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की स्थापना से लेकर अभी तक जवानों को लोहे का ट्रंक मुहैया कराया जाता है। अगर इसके कई फायदे थे तो कुछ नुकसान भी थे। जैसे लोहे का ट्रंक, मजबूत रहता है। उसे बस, ट्रेन या ट्रक में जैसे मर्जी रख सकते हैं। हालांकि यहां पर जवानों को उस वक्त दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जब उसे छुट्टी आना होता है। उसे वह ट्रंक सार्वजनिक परिवहन में अपने साथ लाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बस में उसे आसानी से नहीं रखा जा सकता। वजह, वह जगह बहुत ज्यादा घेरता है। इसी तरह ट्रेन में भी दिक्कत आती है। बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से ऑटो या टैक्सी के द्वारा आना हो, तो भी लोहे का ट्रंक का आसानी से फिट नहीं होता। अगर कोई छोटा वाहन है या आटो में उसे रखना हो तो ट्रंक के बाद किसी दूसरे सामान या सवारी के लिए जगह कम ही बचती है।
इन बलों के जवानों को अब जो मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली मुहैया कराया जाएगा, उसकी अपनी कई खूबियां हैं। जैसै, वह लोहे के ट्रंक की तुलना में काफी हल्का है। उसे साथ ले जाना आसान है। वह निजी या सार्वजनिक परिवहन के साधन में एडजस्ट हो सकता है। किसी भी बल को खरीद से पहले सूटकेस का परीक्षण, टेस्टिंग लैब या फैक्ट्री परिसर में कराना होगा।