नई दिल्ली। ग्रामीण, शहरी रोजगार और वेतन अंतर पर हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा योजना ने पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन अंतर को कम किया है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी नियमों के पालन में सुधार किया है। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में पाया गया कि रोजगार गारंटी कार्यक्रम के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में वेतन पाने वाले श्रमिकों और आकस्मिक श्रमिकों के बीच वेतन अंतर कम हुआ है। वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण भारत की मजदूरी में एक चिंताजनक ट्रेंड देखा है। मुद्रास्फीति और ग्रामीण मासिक वेतन सूचकांक को देखकर उन्होंने पाया कि हाल के सालों में ग्रामीण मजदूरों की क्रय शक्ति कम हो रही है। यानी कि भले ही वेतन वही रहे, लोग कम चीजें खरीद रहे हैं क्योंकि कीमतें बढ़ रही हैं। इसे आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में हाइलाइट किया गया था, जिसमें अप्रैल से नवंबर 2022 तक उच्च मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक ग्रामीण मजदूरी में गिरावट देखी गई थी।
एक अध्ययन ने 58 देशों के आंकड़ों की जांच की और पाया कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लोगों के पास नौकरियां हैं, लेकिन इन नौकरियों में अक्सर खतरा ज्यादा होता है क्योंकि खतरों को कवर करने के लिए श्रम सुरक्षा की कमी है। साथ ही कम भुगतान किया जाता है। अध्ययन में पाया गया कि शहरी श्रमिकों की तुलना में ग्रामीण श्रमिकों को प्रति घंटे लगभग 24 फीसदी कम भुगतान किया जाता है और इस अंतर का केवल आधा हिस्सा शिक्षा और नौकरी के अनुभव जैसे कारकों द्वारा समझाया जा सकता है। इस अंतर को दूर करने के लिए, न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करना और संस्थागत और नियामक उपायों के माध्यम से समान अवसरों को बढ़ावा देना ग्रामीण और शहरी श्रम बाजारों के बीच असमानताओं को कम करने में मदद कर सकता है।