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मुंबई। मराठा आरक्षण आंदोलन के कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह अपना सत्रह दिन का अनशन वापस ले रहे हैं। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक महाराष्ट्र सरकार ऐसे लोगों के परिवार के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर देती, तब तक वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे। पिछले हफ्ते राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों न सर्वसम्मति से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए दस फीसदी अलग से आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक पारित किया था। जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में दस फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे जरांगे ने इसका स्वागत किया था। हालांकि, उन्होंने मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने की मांग की और अपना अनशन जारी रखा। जरांगे ने कहा, “मैं आज अपना अनशन टाल रहा हूं। लेकिन तीन से चार युवा यहां बैठे रहेंगे। वे हमारी मांगों को लेकर रोज रोजा रखेंगे। मैं कुछ गांवों का दौरा करूंगा और उन्हें अपने अपना रुख स्पष्ट करूंगा। वे यहां अंतरवाली सराटी गांव में मुझसे मिलने नहीं आ सके, क्योंकि गृह विभाग ने पाबंदियां लगाई थीं।” आरक्षण आंदोलन को लेकर उनके खिलाफ दर्ज कई पुलिस शिकायतों के बारे में पूछे जाने पर वह बेफिक्र नजर आए। उन्होंने कहा, अगर वे मेरे खिलाफ मुकदमा चलाना चाहते हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन (ऐसा करके) वे मुसीबत को आमंत्रित करेंगे। लोग आक्रोशित होंगे और मुख्यमंत्री व राज्य के गृहमंत्री को परिणाम भुगतने पड़ेंगे। अब फैसला उनके हाथ में है। आरक्षण कार्यकर्ता ने एक दिन पहले उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फडणवीस उन्हें मारना चाहते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जरांगे को चेतावनी देते हुए कहा कि वह राज्य सरकार के धैर्य की परीक्षा न लें।