MP Politics: प्रदेश में आधे नए चेहरे मिलकर खिलाएंगे 29 कमल, विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशी भी दावेदार

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भोपाल। मध्य प्रदेश भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। इसलिए पार्टी शोर से ज्यादा जनसंपर्क पर फोकस कर रही है। भाजपा केंद्र सरकार की योजनाओं के हितग्राहियों को साधने पूरा फोकस लगा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में पार्टी आधे नए चेहरों को मैदान में उतारेगी। भाजपा को लोकसभा चुनाव फेवरेबल दिख रहा है, इसलिए नई लीडरशिप तैयार करने के लिए वह नए चेहरे को मौका दे सकती है। इसके लिए एक-एक सीट पर प्रत्याशी के चयन के लिए जातिगत समीकरण बैठाया जा सकता है।

भाजपा ने 2019 में प्रदेश में लोकसभा की  28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। छिंदवाड़ा की एक सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। यहां से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। इस सीट को जीतने के लिए भी भाजपा हर संभव कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा ने 2024 के लिए 29 में से 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसलिए भाजपा करीब आधे सांसदों के टिकट काट सकती है। दरअसल, भाजपा की रणनीति नए और युवा चेहरों को मैदान में उतारने की है। जानकारी के अनुसार भाजपा ने सभी सीटों पर अपनी रायशुमारी कर ली है।

मुरैना, दमोह, होशंगाबाद में नया चेहरा तय

भाजपा ने विधानसभा चुनाव में दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारकर चौंकाया था। इसमें तीन केंद्रीय मंत्री समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया गया था। हालांकि, मंडला से सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सतना से सांसद गणेश सिंह चुनाव हार गए थे। वहीं, दमोह, मुरैना, सीधी, जबलपुर और होशंगाबाद सांसद चुनाव जीत गए। जानकारों का कहना है कि पांच सीटों पर नए चेहरों को ही पार्टी का चुनाव लड़ाएंगे। वहीं, दोनों हारे सांसदों को लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व अंतिम फैसला लेगा।

विधानसभा चुनाव हारे नेता भी कर रहे दावेदारी
पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए विधानसभा चुनाव में हार मंत्री और विधायकों के नाम पर भी चर्चा कर रही है। इसमें पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम मुरैना और ग्वालियर, यशपाल सिंह सिसोदिया मंदसौर, इमरतीदेवी भिंड, रामपाल सिंह विदिशा से टिकट के लिए प्रयसास कर रहे हैं। बता दें पिछली बार उज्जैन से सांसद अनिल फिरोजिया 2018 में तराना से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। इसके बाद उनको पार्टी ने लोकसभा चुनाव में उतार दिया और उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की। यही, वजह है कि कई पूर्व मंत्री और विधायक चुनाव हारने के बाद अब लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

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