उलझन में भाजपा: वरुण और मेनका गांधी को कहां से लड़ाएं चुनाव?

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सुलतानपुर। मिशन-24 को फतह करने के लिए भाजपा माइक्रो लेवल पर काम कर रही है। हर एक सीट पर उम्मीदवार की जमीनी हकीकत को परखकर ही मैदान में उतारा जा रहा है। खासतौर से उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटें भाजपा के स्कैनर से निकल रहीं है। जब पीलीभीत, सुलतानपुर और रायबरेली को लेकर चिंतन और मंथन किया गया तो पता चला कि इस बार मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी की सीटें बदली जा सकती हैं।

सबसे पहले बात करते हैं रायबरेली सीट की। यहां से पिछली बार कांग्रेस से सोनिया गांधी सांसद चुनी गई थीं। इस बार उन्होंने खुद को किनारे कर लिया और उम्मीद है कि राज्यसभा के जरिए उनकी सदन में इंट्री होगी। सोनिया गांधी की जगह कौन लेगा,इसको लेकर कांग्रेस ने फिलहाल किसी का नाम तय नहीं किया है। ऐसे में भाजपा इस सीट को झटकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। तमाम उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा होने के बाद भाजपा को सबसे खरे उम्मीदबार वरुण गांधी ही दिखाई दे रहे हैं। वजह ये है कि रायबरेली के सभी मापदंडों पर वरुण गांधी सटीक बैठ रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पीलीभीत से इनके नाम पर न नुकुर करने वाले नेताओं को यह सुझाव बेहतर विकल्प नजर आ रहा है। वरुण को रायबरेली शिफ्ट कर कांग्रेस के किले को ध्वस्त करने की रणनीति तैयार हो रही है।पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि कांग्रेस से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं उतरा तो वरुण भी रायबरेली के नाम पर हामी भर सकते हैं।

कुल मिलाकर मेनका गांधी को पीलीभीत तो वहां से वरुण गांधी रायबरेली भेजे जा सकते। वहीं, सुलतानपुर सीट पर इस बार स्थानीय प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। भाजपा में भीतरखाने इस बात की चर्चा तेज हो गई है। इस चर्चा को कई कोण से बल भी मिलता नजर आ रहा है, लेकिन सही तस्वीर 22 मार्च तक सामने आने की उम्मीद है। लगातार दो चुनावों में भाजपा सुलतानपुर सीट पर अपराजेय रही। 2014 के चुनाव में यहां से वरुण गांधी तो 2019 में उनकी मां मेनका गांधी सांसद बनीं। इस बार भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है। कई स्तरों पर हुए सर्वे के बाद यह सीट पार्टी के लिए मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में यहां से किसी नए और स्थानीय चेहरे को मौका देने की तैयारी है। इसमें वरियता कुर्मी बिरादरी के दावेदार को मिलने के आसार हैं। हालांकि, अब तक यह महज संभावना है। फैजाबाद मंडल में सबसे कमजोर सीट अंबेडकरनगर मानी जा रही थी, इसके लिए भाजपा ने बसपा के वर्तमान सांसद रितेश पांडेय का पाले में कर बड़ा दांव चल दिया है। वहीं, लखनऊ मंडल में भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी रायबरेली है।

 

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