रेलवे में हाफ टिकट पर नहीं मिलेगा बीमा का लाभ

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नई दिल्ली। रेल यात्रा के दौरान बच्चे का हाफ टिकट लेने पर उसे वैकल्पिक बीमा योजना का लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन पूरा किराया देकर सीट बुक कराने पर ही बीमा का लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा आईआरसीटीसी ने एक अप्रैल से रेल यात्री वैकल्पिक बीमा का प्रति यात्री प्रीमियम बढ़ाकर 45 पैसे कर दिया है। पहले यह 35 पैसे था। मालूम हो कि रेल यात्री की मृत्यु होने पर 10 लाख रुपये, आंशिक विकलांग होने पर 7.5 लाख और अस्पताल में घायलों का इलाज कराने पर दो लाख रुपये आश्रित को दिए जाते हैं। इसके अलावा, 10 हजार रुपये सड़क परिहवन के लिए भुगतान किया जाता है।

आईआरसीटीसी के अनुसार, रेल यात्री वैकल्पिक बीमा योजना का लाभ सिर्फ ई-टिकट बुक कराने वाले यात्रियों को मिलेगा। यानी रेलवे के टिकट काउंटर, निजी रेल बुकिंग काउंटर अथवा दलाल से खरीदे गए टिकट पर बीमा योजना लागू नहीं होगी। ट्रेन की सभी श्रेणियों एसी-1,2,3, स्लीपर, बर्थ आदि के कन्फर्म, आरएसी टिकट पर यह सुविधा लागू होगी। प्रतीक्षा सूची के रेल यात्री बीमा योजना के पात्र नहीं होंगे। ऑनलाइन टिकट बुक कराते समय रेल यात्री को बीमा योजना के विकल्प को चुनना होता है। इसके बाद बीमा कंपनी की ओर से रेल यात्री के मोबाइल और ई-मेल आईडी पर मैसेज आता है। किसी कारण से ट्रेन बदले हुए रेलमार्ग पर चलाई जाती है तब भी यात्री को बीमा कवर मिलेगा। वैकल्पिक ट्रेन बुकिंग में भी यात्री को बीमा लाभ मिलेगा। अपरिहार्य कारणों से रेलवे सड़क मार्ग से यात्रियों को गतंव्य तक पहुंचाती है तो, ऐसी स्थिति में भी यात्री बीमा लाभ के पात्र होंगे। बीमा कवर का उत्तराधिकारी नहीं होने पर दावा करने पर अदालत से बीमा का दावा दिया जाएगा।

रेलवे की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 में 34.40 करोड़ रेल यात्रियों ने बीमा कराया और बीमा कंपनियों को इसका प्रीमियम मद में 8.53 करोड़ रुपये मिला। वर्ष 2019-20 में 27.30 करोड़ यात्रियों ने बीमा के एवज में 13.38 करोड़ रुपये बीमा प्रीमियम का भुगतान किया। जबकि बीमा कंपनियों ने 2018-19 में दावा भुगतान 6.12 करोड़ और 2019-20 में 3.73 करोड़ रुपये किया। रेल यात्री वैकल्पिक बीमा योजना की शुरुआत सितंबर 2016 में की गई थी। तब प्रति यात्री बीमा का प्रीमियम 0.92 पैसा था, जो सरकार खुद देती थी। अगस्त 2018 में प्रीमियम घटाकर 0.42 पैसा प्रति यात्री कर दिया गया था और इसका बोझ यात्रियों पर डाल दिया गया। बाद में इसे फिर कम किया गया था।

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