BREAKING NEWS Covid: एस्ट्राजेनेका साइड इफेक्ट पर बोला- टीके से जम सकता है खून का थक्का, भारत में कोविशील्ड नाम से मिला टीका
कंपनी से मुआवजे की मांग
कोर्ट पहुंचे शिकायतकर्ताओं ने शरीर को पहुंचे नुकसान के लिए कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की है। खास बात यह है कि ब्रिटेन ने इस वैक्सीन पर अब सुरक्षा कारणों से रोक लगा दी है। कंपनी के इस स्वीकारोक्ति के बाद अब मुआवजा मांगने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है।
भारत में कोविड के बाद ऐसी मौतों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई थी, जिनमें कारण का स्पष्ट पता नहीं चला था। इनमें से अधिकांश को किसी न किसी शारीरिक समस्या से जोड़ कर देखा गया और सरकार व स्वास्थ्य जगत ने यह कभी नहीं माना कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण ऐसा हो सकता है। अब कंपनी की इस स्वीकारोक्ति के बाद भारत में भी मुकदमों का दौर शुरू होने की संभावना है।
खून का थक्का जमने की बीमारी का कारण बन सकते हैं कुछ टीके
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा है कि कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की स्थिति बन सकती है। उनका यह बयान फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से अदालत के समक्ष इस स्वीकारोक्ति के बाद आया है कि उसकी ओर से विकिसत की गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है। टीटीएस का संबंध मस्तिष्क या अन्य भीतरी अंगों की रक्त वाहिकाओं में थक्का जमने एवं प्लेटलेट काउंट कम होने की बीमारी से है। एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ कोविड रोधी टीके विकसित किए थे। ब्रिटेन की कई मीडिया रिपोर्टों में कंपनी के टीके पर गंभीर बीमारियों और मौतों के कारण बनने के आरोप लगाए गए हैं। इस प्रकार की रिपोर्टें कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष जयदेवन ने कहा, हालांकि कोविड टीकों ने कई मौतों को रोकने में मदद की है, फिर भी इसके साइड इफेक्ट से इन्कार नहीं किया जा सकता है। एजेंसी
शायद ही कभी ऐसी स्थितियां विकसित होती हैं: डब्ल्यूएचओ
हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने एडेनोवायरस वेक्टर टीकों को लेकर कहा है कि इनसे शायद ही कभी ऐसी स्थितियां विकसित होती हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड नामक कोविड-19 रोधी टीके का उत्पादन किया, लेकिन एमआरएनए प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं किया। इसे वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर तैयार किया गया है। वैक्सीन में एक चिंपैंजी एडेनोवायरस को संशोधित किया गया है, ताकि यह मनुष्यों की कोशिकाओं में कोविड-19 स्पाइक प्रोटीन ले जाने में सक्षम हो सके।