बेंजामिन नेतन्याहू की बढ़ीं मुश्किलें, अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते किया युद्धविराम तो चली जाएगी सरकार

320
तेल अवीव। गाजा युद्ध को कई महीने बीत चुके हैं और अभी तक हमास की कैद से सभी बंधक रिहा नहीं हो सके हैं। अब इस्राइल राफा पर हमले की तैयारी कर रहा है, लेकिन इस बीच पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल नेतन्याहू पर युद्ध रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। वहीं नेतन्याहू की सहयोगी पार्टियों ने चेतावनी दी है कि अगर राफा पर हमला रोका गया तो वे नेतन्याहू सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे और उस स्थिति में नेतन्याहू सरकार का गिरना तय हो जाएगा।
युद्धविराम की चल रहीं कोशिशें
युद्धविराम के लिए हमास के प्रतिनिधि सोमवार को मिस्त्र की राजधानी काहिरा पहुंच गए और मध्यस्थों द्वारा कोशिश की जा रही है कि इस्राइल और हमास के बीच युद्धविराम की बातचीत जल्द शुरू हो जाए। वहीं इस्राइली सेना राफा शहर पर हमले के लिए तैयार है। मिस्त्र सीमा पर स्थित राफा शहर में बड़ी संख्या में गाजा शरणार्थी ठहरे हुए हैं और अगर इस्राइली सेना राफा पर हमला करती है तो उसमें बड़ी संख्या में आम नागरिकों के मारे जाने की आशंका है। अमेरिका भी इस्राइल पर युद्धविराम का दबाव बना रहा है। वहीं इस्राइल का दावा है कि हमास की चार बटालियन राफा शहर में ही मौजूद हैं। ऐसे में इस्राइल हमले से पीछे हटने को तैयार नहीं है।

बेंजामिन नेतन्याहू की गिर सकती है सरकार
एक तरफ नेतन्याहू पर युद्धविराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ रहा है। वहीं घरेलू मोर्चे पर भी नेतन्याहू को दबाव का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल सरकार की सहयोगी दक्षिणपंथी पार्टी के नेता और इस्राइल के वित्त मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच ने पीएम नेतन्याहू से अपील की है कि वे पीछ न हटें और राफा में जमीनी हमला करें। स्मोट्रिच का कहना है कि युद्धविराम, इस्राइल की हार होगी। अगर ऐसा होता है तो नेतन्याहू को सरकार में रहने का हक नहीं होगा। वहीं मध्यमार्गी नेता सरकार से अपील कर रहे हैं कि बंधकों की रिहाई ज्यादा जरूरी है। ऐसे में बंधकों की रिहाई के लिए युद्धविराम होना चाहिए। इस्राइल में बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। दरअसल हमास के हमले के बाद से हजारों इस्राइली नागरिक अभी भी विस्थापित जीवन जी रहे हैं। साथ ही लेबनान से हिजबुल्ला के हमलों की वजह से भी लगातार खतरा बना हुआ है। इस्राइली नागरिक इसे सरकार की विफलता बता रहे हैं। करीब 130 बंधक अभी भी हमास के कब्जे में हैं। ऐसे में बंधकों के परिजनों सरकार के खिलाफ मुखर होकर आलोचना कर रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.