जानकारों ने दिलाया भरोसा बोले- हार्ट अटैक का कारण सिर्फ कोविशील्ड नहीं

279

नई दिल्ली। कोविशील्ड वैक्सीन लेने के लिए राहत भरी खबर है। जानकारों का कहना है कि इसको लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है। खासकर हार्ट अटैक को लेकर अफवाह पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। डॉ. अंशुमान ने कहा कि कंपनी ने यह भी माना है कि टीटीएस ब्रेन में, लंग्स में, आंत की खून की नली में और पैर में पाया गया है। जितने भी लोगों ने शिकायत की है उसमें से किसी ने भी हार्ट अटैक की समस्या नहीं बताई है। इसलिए वैक्सीन को लेकर हार्ट अटैक होने के खतरे को लेकर चिंतित होना बेकार की बात है। हां, यह बात सच है कि कोविड संक्रमण की वजह से ब्लड क्लॉट बनते हुए पाया गया है और इसका असर हार्ट पर भी हुआ है। देश की आईसीएमआर ने भी अपनी स्टडी में इस बात को खारिज किया है वैक्सीन की वजह से कार्डियक अरेस्ट होता है।

कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्टाजेनेका ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपनी वैक्सीन के रेयर साइड इफेक्ट्स को स्वीकार किया है। इसके बाद भारत में भी इस पर चर्चा शुरू हो गई है। एक्सपर्ट का कहना है इसको लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है। खासकर हार्ट अटैक को लेकर अफवाह पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। डॉ. अंशुमान ने कहा कि कंपनी ने यह भी माना है कि टीटीएस ब्रेन में, लंग्स में, आंत की खून की नली में और पैर में पाया गया है। जितने भी लोगों ने शिकायत की है उसमें से किसी ने भी हार्ट अटैक की समस्या नहीं बताई है। इसलिए वैक्सीन को लेकर हार्ट अटैक होने के खतरे को लेकर चिंतित होना बेकार की बात है। हां, यह बात सच है कि कोविड संक्रमण की वजह से ब्लड क्लॉट बनते हुए पाया गया है और इसका असर हार्ट पर भी हुआ है। देश की आईसीएमआर ने भी अपनी स्टडी में इस बात को खारिज किया है वैक्सीन की वजह से कार्डियक अरेस्ट होता है। वहीं कुछ एक्सपर्ट मानते है कि कोई भी दवा या वैक्सीन अगर असर करेगी तो उसका साइड इफेक्ट भी होगा। मल्टीविटामिन की भी दवा का साइड इफेक्ट होगा। ऐसे में वैक्सीन का असर 1 लाख लोगों में से दो पर हो रहा है, जो .0002 परसेंट है। इसको लेकर बिना वजह पैनिक होना सही नहीं है। सच तो यह है कि जितने लोग की मौत कोविड के डेल्टा फेज में हुई उससे कहीं ज्यादा लोगों की जान इस वैक्सीन से बची है। डॉक्टर ने कहा कि मुझे लगता है कि वैक्सीन पर इंटरनैशनल राजनीति चल रही है।

क्या होता है टीटीएस?
कोविड एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि वैक्सीन की वजह से हार्ट अटैक हो रहा है। इसमें बताया गया है कि वैक्सीन की पहली डोज के 4 से 42 दिन के अंदर टीटीएस होने की बात स्वीकार की गई है। जब वैक्सीन की पहली डोज दी जाती है तो उसका इम्यून सिस्टम का टी सेल और बी सेल एक्टिव हो जाता है। इम्यून रेस्पॉन्स बढ़ जाता है और खून की नली में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ब्लड क्लॉट बनता है। जब ब्लड क्लॉट बनता है तो इससे प्लेटलेट्स ज्यादा खर्च होती है, जिसकी वजह से प्लेटलेट्स कम होने लगती है और ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। इसे ही टीटीएस कहा जाता है।

एक्सपर्ट की माने तो कोविड की बीमारी के दौरान हार्ट में भी क्लॉट बन रहा था। मांसपेशियों में सूजन की वजह से हार्ट बीट प्रभावित हो रही थी। कई प्रकार की दिक्कत हो रही थी। लॉकडाउन की वजह से लोगों का लाइफ स्टाइल खराब रही। मूवमेंट थम गया था, असुरक्षा थी, मेंटल स्ट्रेस बढ़ा हुआ था। मोटापा और डायबिटीज का स्तर बढ़ गया था। खानपान हैवी हो गया था। साथ में फिजिकल एक्टिविटी की कमी की वजह से हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ा हुआ था। यही नहीं मोटापा एक गंभीर समस्या बन रही है। 33 परसेंट डायबिटीज के मरीज हैं, पल्यूशन भी एक वजह है। ये सभी वजह स्टैबलिश हैं। एक्सपर्ट का कहना हैं कि इस खुलासे से यह साफ हो रहा है कि वैक्सीन का एक रेयर साइड इफेक्ट था। 4 से 42 दिनों के अंदर वैक्सीन के बाद टीटीएस हुआ। यह समस्या वैक्सीन लेने वाले और कोविड संक्रमण वालों में देखी गई, लेकिन कोविड वैक्सीन वाले मरीज बहुत रेयर थे। इसके लिए वैक्सीन को एकदम से दोष देना सही नहीं है। क्योंकि वैक्सीन इतने ज्यादा लोगों को लगी है और खतरा एक लाख में 2 लोगों को बताया जा रहा है। डॉक्टर ने कहा कि मैंने ऐसे 5 मरीजों का इलाज किया है, जिनमें से चार की उम्र बहुत कम थी। भले ही टीटीएस रेयर हो, लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता।

Leave A Reply

Your email address will not be published.