प्रयागराज। जार्जटाउन निवासी काकोली दासगुप्ता को बीते 23 अप्रैल को साइबर ठग ने कॉल कर कहा कि फेडेक्स इंटरनेशनल कोरियर कंपनी से बोल रहा हूं। उनके नाम से एक पार्सल ताइवान से भेजा गया है। इस पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य सामान है। इसके बाद डीसीपी क्राइम ब्रांच बनकर एक अन्य व्यक्ति ने कॉल किया। साइबर ठगों ने वीडियो कॉल कर कहा कि वह पुलिस की निगरानी में हैं। उन्हें ऑनलाइन गिरफ्तार (डिजिटल अरेस्ट) किया गया है। तीन दिन तक कमरे से बाहर नहीं जाएंगी। इस दौरान बुजुर्ग महिला डर कर तीन दिन तक घर के बाहर नहीं निकलीं और फर्जी पुलिसकर्मियों के कहने पर तीन दिन में अपने बैंक खाते से कई बार में कुल एक करोड़ 48 लाख 30 हजार रुपये ऑनलाइन साइबर ठगों को ट्रांसफर कर दिए। इस मामले साइबर थाने की पुलिस ने बुधवार को खुलासा किया। नेपाल, थाइलैंड और बैंकाक में बैठे साइबर शातिर गैंग को ऑपरेट कर रहे थे। पुलिस ने छापामारी करके बैंक स्टेटमेंट की मदद से चार साइबर ठगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इनके पास से एक आईफोन, छह मोबाइल, सात बैंक खातों की चेकबुक, तीन फर्जी सिम कार्ड और 10 एटीएम कार्ड बरामद हुआ है। पुलिस ने इनके बैंक खाते से 40 लाख रुपये पहले ही फ्रीज करा दिए थे।
साइबर थाना प्रभारी राजीव तिवारी ने बताया कि इस गैंग का मुख्य सरगना दिल्ली निवासी देवराय उर्फ राणा है। करोड़ों की ठगी के बाद वह विदेश (नेपाल) भाग गया है। पुलिस ने उसके बेटे दिल्ली निवासी निशांत राय, शाहजहांपुर निवासी नितलेश कुमार, नोएडा के राजेश कुमार और नई दिल्ली के रामा उर्फ चेतन को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के बाद चारों को जेल भेज दिया गया। मुख्य आरोपी राणा समेत अन्य की तलाश जारी है। प्रयागराज में डिजिटल अरेस्ट करके करोड़ों की ठगी करने का मास्टर माइंड दिल्ली निवासी देवराय उर्फ राणा है पहले वह बैंकाक में होटल संचालित करता था। अय्याशी में उसने करोड़ों बर्बाद कर लिए। इसके बाद विदेशियों के साथ मिलकर साइबर ठगी करने लगा। दिल्ली, नेपाल और बैंकाक में कार्यालय बनाकर पुलिस अफसर बनकर कॉल करता था। बाकी काम उसके आदमी दिल्ली से करते थे। काले धन को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर सफेद करता था। इस खेल में उसने अपने बेटे निशांत को भी शामिल किया था। पुलिस ने निशांत को गिरफ्तार किया तो कई राज खुले। पुलिस ने बताया कि उन लोगों ने जार्जटाउन की महिला से एक करोड़ 48 लाख रुपये तीन बैंक खातों में ट्रांसफर कराए थे। इनमें से एक बैंक खाते का ही 40 लाख रुपये पुलिस फ्रीज करा पाई है। बाकी रुपयों को निशांत ने बाइनेंस एप की मदद से क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर करके अपने पिता को भेज दिया था।
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