नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के लिए यह एआई मॉडल तैयार किया गया है। इस तकनीक को रेलवे को देकर ट्रायल कराने की तैयारी की जा रही है। एआई के जरिये ट्रेन के ड्राइवर को 500 मीटर पहले ही पता चल जाएगा कि रेल पटरी या उसके किनारे जानवर हैं। इंजन में ट्रिगर अलार्म बजते ही स्क्रीन पर उसका वीडियो भी दिख जाएगा और ड्राइवर अलर्ट हो जाएगा। मतलब आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस अब जानवरों को ट्रेन से कटने से बचाएगा। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने एआई मॉडल विकसित किया है।
इस तकनीक से ट्रेन से आए दिन जानवरों के कटने (कैटिल रन ओवर) की दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा। इस तकनीकी का सबसे बड़ा फायदा जंगल वाले इलाकों में होगा। पहाड़ी इलाकों में भी रेल पटरियों के दोनों तरफ दीवारें या फेंसिंग विकसित करना बहुत मुश्किल होता है। इसके अलावा जहां फेंसिंग और दीवारें हैं, उनकी मरम्मत की जरूरत भी नहीं होगी और खर्च भी कम होगा। उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश जैसे राज्यों में जानवरों की ट्रेनों से आए दिन होने वाली भिड़ंत रुकेगी।उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ, हिमांशु शेखर उपाध्याय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे सुरक्षा और संरक्षा पर जोर देने वाली हर उच्च तकनीकी और नवाचार को अपना रहा है।
Sign in
Sign in
Recover your password.
A password will be e-mailed to you.