बचपन में पिता को खोने वाली 15 साल की प्रीतिस्मिता ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, 133 किलो वजन उठाकर जीता सोना
दो साल की उम्र में उठा पिता का साया, कोच ने स्कूल में दौड़ते देखा तो मां से गुहार लगा बनाया वेटलिफ्टर प्रीतिस्मिता सिर्फ दो साल की थीं, जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया। मां के ऊपर मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने दोनों बेटियों को संघर्षों के साथ पिता बनकर पाला और ढेंकनाल के केंद्रीय विद्यालय में दाखिला कराया। यहीं कोच गोपाल कृष्ण दास ने दोनों बहनों को स्कूल मीट में दौड़ते देखा तो उन्हें वेटलिफ्टर बनाने का फैसला किया। दोनों ने ही चार वर्ष के अंदर परिणाम देने शुरू कर दिए हैं।
बहन भी हैं राष्ट्रीय पदक विजेता
गोपाल बताते हैं कि वह केंद्रीय विद्यालय की स्कूल मीट में गए थे। यहां दो बहनें बड़ी विदुस्मिता और छोटी प्रीतिस्मिता 100, 400 मी. दौड़ में पहले और दूसरे स्थान पर आ रहीं थीं। उन्हें लगा दोनों को लिफ्टर बनाया जा सकता है। तब उन्होंने उनकी मां जमुना देवी से बात की। वह तैयार नहीं हुई कि वजन उठाने वाले खेल में उनकी बेटियों आएं। काफी समझाने के बाद वह तैयार हो गईं। विदुस्मिता भी राष्ट्रीय यूथ वेटलिफ्टिंग, खेलो इंडिया में पदक जीत चुकी हैं।
पहले दिन भारत के खाते में चार पदक
लीमा (पेरू) में चल रही चैंपियनशिप के पहले दिन भारत को चार पदक मिले। 40 भारवर्ग में प्रीतिस्मिता और ज्योशना के अलावा 45 भारवर्ग में पायल ने 147 (65+82) किलो वजन उठाकर रजत जीता। लड़कों के 49 भारवर्ग में बाबूराम हेंब्रोम ने कुल 193 (86-107) किलो वजन के साथ कांस्य जीता।