सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा, चुनाव के दौरान याचिका क्यों दायर की गई

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर तुरंत विचार करने से इंकार किया है, जिसमें मांगकी गई थी कि चुनाव आयोग को वोटर टर्नआउट (मतदान प्रतिशत) की सही संख्या प्रकाशित करने और अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17सी प्रतियां अपलोड करने का निर्देश दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शनिवार को छठा चरण है। हमारा मानना है कि इस मामले की सुनवाई चुनाव के बाद होनी चाहिए।

दरअसल लोकसभा चुनावों के बीच कई राजनीतिक दलों ने वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। विरोधी दलों का दावा है कि चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और हो जाता है। इस लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर और तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की और निर्वाचन आयोग के वकील ने याचिका का विरोध कर कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य ही नहीं है। उन्होंने कहा कि ये कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है। देश में चुनाव चल रहे हैं और ये बार-बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं।

निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इन याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए। इसतरह के लोगों का इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाता है। आयोग ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट किए थे। मनिंदर सिंह ने कहा कि आम के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थापित कानून के मुताबिक फॉर्म 17सी को ईवीएम वीवीपीएटी के साथ ही स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। यह आरोप पूरी तरह से गलत और आधारहीन है। इन दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने के समय पर सवाल खड़ा किया। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यों की गई?

जस्टिस दत्ता ने वकील दवे को संबोधित कर कहा कि हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं। कुछ जनता के हित में होती हैं, कुछ पैसे के लिए होती हैं! लेकिन हम आपको ये कह सकते हैं कि आपने यह याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दायर नहीं की है।

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