भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने के साथ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उत्तराधिकारी की खोज तेज हो गई है। गौरतलब है कि एमपी में भाजपा ने सभी 29 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। एक बड़ी जीत के साथ मप्र विधानसभा की खाली होने वाली संभावित सीटों पर उपचुनाव को लेकर चर्चा आम है, यही कारण है कि लोग कह रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री चौहान जब संसद जाएंगे तो फिर उनकी बुधनी विधानसभा सीट से किसे पार्टी मैदान में उतारेगी? इस प्रकार एक तरफ लोकसभा चुनाव में प्रदेश के तमाम सीटें जीतने का जश्न तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में उपचुनाव को साधने की जिम्मेदारी भी पार्टी कर्ताधर्ताओं के कंधे पर आ गई है। अब चूंकि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सीहोर जिले के बुधनी से विधायक हैं और अब वो विदिशा लोकसभा सीट से सांसद भी चुने जा चुके हैं। ऐसे में प्रश्न यही है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद संसद का रुख करने के कारण उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। इसलिए आगे चलकर बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा, जिसे लेकर चर्चा आग है कि शिवराज सिंह चौहान का उत्तराधिकारी होने का तमगा किसे हासिल होगा।
पू्र्व सीएम चौहान का बुधनी में उत्तराधिकारी उनका अपना बड़ा बेटा कार्तिकेय सिंह चौहान हो सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा क्योंकि लोकसभा चुनाव में कार्तिकेय ने बढ़-चढ़कर पार्टी के लिए काम किया है और अपनी उपस्थिति बेहतर ढंग से दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि यदि कार्तिकेय उत्तराधिकारी बनते हैं तो उनका जीतना लगभग तय है, क्योंकि कहा यही जाता है कि शिवराज मामा की छवि उनके बच्चों को चुनाव जितवाने के लिए काफी है। वैसे कार्तिकेय खुद मंजे हुए खिलाड़ी की तरह राजनीतिक गलियारे में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। एक खेमें ने यह संभावना भी व्यक्त की है कि विदिशा लोकसभा सीट से चूंकि शिवराज को लड़ाने के लिए पू्र्व सांसद रमाकांत भार्गव का टिकट काटा गया था। अत: अब उन्हें बुधनी से विधानसभा उपचुनाव लड़ाकर उपकृत किया जा सकता है। इस प्रकार यदि कार्तिकेय का नाम परिवारवाद की वजह से हटाया जाता है तो फिर रमाकांत भार्गव शिवराज के उत्तराधिकारी का रोल अदा कर सकते हैं। बहरहाल अभी सभी की निगाहें 18वीं लोकसभा पर टिकी हुई हैं, जहां यह देखना दिलचस्प होगा कि किसे क्या जिम्मेदारी मिलने वाली है। आठ लाख से अधिक मतों से शानदार जीत दर्ज करने वाले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहार पर संपूर्ण प्रदेशवासियों की ही नहीं बल्कि देश के अधिकांश जिम्मेदार नागरिकों की भी निगाहें टिकी हुई हैं, कि आखिर उन्हें क्या हासिल होने जा रहा है।