फिर से सरकार ले रही है एक हजार करोड़ का कर्ज

19

इंदौर। आर्थिक तंगी से मध्यप्रदेश लगातार जूझ रहा है। शिवराज सरकार का खजाना खाली हो चुका है। इस बीच आचार संहिता के बीच सरकार एक बार फिर से नया कर्ज लेने जा रही है। इस बार एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा रहा है। यह कर्ज 28 नवंबर को लिया जाएगा। वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
प्रदेश में बीते माह 9 अक्टूबर से विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद सरकार द्वारा  यह तीसरी बार कर्ज लिया जा रहा है। सरकार ने आचार संहिता के ठीक पहले और बाद में अक्टूबर में तीन किस्तों में चार हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया  था। लगातार कर्ज लेने की वजह है, सरकार का खजाना पहले से खाली चल रहा था, ऐसे में भी सरकार ने सियासी फायदे के लिए चुनाव से ठीक पहले कई लोक लुभावन योजनाओं को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
इन योजनाओं से सरकारी खजाने पर भारी बोझ आ गया है। जिसका असर अब पूरी तरह से दिखने लगा है। हालात यह बन चुके हैं कि सरकार के पास भुगतान संकट की स्थिति बन रही है। नगदी के अभाव में सरकार को लगातार और बार-बार बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है। यह कर्ज सरकार द्वारा सिक्युरिटीज को गिरवी रखकर लेना पड़ रहा है। इस नए कर्ज के लिए वित्त विभाग द्वारा आरबीआई के माध्यम से ऑक्शन की प्रक्रिया करने जा रही है। 31 मार्च, 2022 की स्थिति में मप्र पर 2.95 लाख करोड़ का कर्ज था। वर्तमान में यह बढक़र 3 लाख 43 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है। बजट अनुमान के अनुसार 31 मार्च, 2024 तक यह आंकड़ा 3.85 लाख करोड़ होने का अनुमान है। खास बात यह कि सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के 12 महीने में करीब 43 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर वित्त वर्ष के आखिरी महीनों (जनवरी से मार्च तक) सरकार ज्यादा लोन लेती है, लेकिन इस बार चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में ही सरकार को जयादा लोन लेना पड़ा। मौजूदा बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है, जबकि खर्च इससे करीब 54 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है।
इस वित्त वर्ष में कर्ज हो जाएगा 14500 करोड़
वित्तीय वर्ष 2023-24 की अवधि में राज्य सरकार इससे पहले 7 बार में 13500 करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से उठा चुकी है। ये 13वां कर्ज होगा। इस कर्ज को मिलाकर बाजार से लिए जाने वाले कर्ज की राशि बढक़र 14500 करोड़ रुपए हो जाएगी। 31 मार्च 2023 की अवधि में राज्य सरकार 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है।
ले सकती है 40 हजार करोड़ रुपए तक का ऋण
प्रदेश सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। सरकार के पास 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ऋण लेने की पात्रता है, लेकिन अभी तक सरकार ने 13500 करोड़ का ही ऋण लिया है। राज्य सरकार ने जो कर्ज लिया है, उसका इस्तेमाल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विकास परियोजना को गति देने के लिए किया जाएगा।
क्यों लेना पड़ रहा है कर्ज
राज्य सरकार पर खर्च का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। खासतौर पर सरकार को उन योजनाओं के लिए रुपयों का इंतजाम करना पड़ रहा है, जिनमें  खासतौर पर हितग्राहियों को नगद राशि का भुगतान किया जाता है। लिहाजा ऐन चुनाव के समय नगद राशि भुगतान वाली योजनाओं पर अमल करने में किसी तरह की बाधा नहीं आए, इसलिए ही सरकार बाजार से कर्ज लेकर अतिरिक्त राशि का इंतजाम कर रही है। ऐसे में अभी चुनाव आचार संहिता के बीच भी बाजार से कर्ज लेना सिलसिला जारी रहने वाला है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.