रावत को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली तो उनकी जुबान फिसल गई। उन्होंने राज्य के मंत्री के बजाय कह दिया कि – “मैं मध्य प्रदेश के राज्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा।” इससे गफलत हुई कि वह राज्यमंत्री बनाए गए हैं। हालांकि, बाद में स्पष्ट हुआ कि वे कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। उन्हें दोबारा शपथ लेनी पड़ी।
श्योपुर की विजयपुर सीट से विधायक रामनिवास रावत छह बार के विधायक हैं। वह कांग्रेस के उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाने से नाराज थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी। रावत पहली बार 1990 में विधायक बने थे। वह 1993 में दिग्विजय सिंह कैबिनेट का हिस्सा रहे। रावत को दो बार विधानसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। 64 वर्षीय रावत ने 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। उनके परिवार में पत्नी उमा रावत के अलावा दो बेटे और दो बेटियां है। उनका पेशा वकालत है। उन्होंने बीएससी, एमए, एलएलबी की पढ़ाई की है।
ग्वालियर-चंबल में भाजपा की स्थिति होगी मजबूत
छह बार के विधायक रामनिवास रावत को मंत्री बनाने से भाजपा ग्वालियर-चंबल में मजबूत होगी। रावत ओबीसी समुदाय के बड़ा चेहरा माने जाते हैं। मंत्री बनने से रावत का स्वाभाविक रूप से कद बढ़ेगा। कांग्रेस के तेजतर्रार नेताओं में उनकी गिनती होती है। इसका फायदा भाजपा को पूरे अंचल में मिलेगा। रावत ने 30 अप्रैल को पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी। रविवार को रावत ने भागवत कथा के लिए कलश यात्रा का आयोजन किया था। इस बीच शाम को उन्हें भोपाल बुलाया गया।