आयात और निर्यात के बीच घटा अंतर
पीएलआई योजना के अलावा सरकार के अन्य प्रयासों से दूरसंचार आयात और निर्यात के बीच अंतर काफी कम हो गया है। दूरसंचार उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर 2023-24 में 1.49 लाख करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात किया गया। इस अवधि में आयात 1.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा।
दूरसंचार व्यापार घाटे में आई गिरावट
पीएलआई योजना ने आयातित दूरसंचार उपकरणों पर भारत की निर्भरता को करीब 60 फीसदी तक कम कर दिया है। इससे देश कुछ उत्पादों में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। भारतीय निर्माता अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। उत्तरी अमेरिका और यूरोप को 5जी उपकरण निर्यात कर रहे हैं। यही वजह है कि पिछले पांच वर्षों में दूरसंचार क्षेत्र (दूरसंचार उपकरण और मोबाइल) में व्यापार घाटा 68,000 करोड़ से कम होकर 4,000 करोड़ रुपये रह गया है।
मोबाइल फोन आयातक से निर्यातक बना भारत
इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में पीएलआई योजना की मदद से देश में मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात में काफी तेजी आई है। भारत अब मोबाइल फोन आयातक से निर्यातक बन गया है। 2014-15 में देश में सिर्फ 5.8 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन होता था और 21 करोड़ यूनिट आयात किया जाता था। 2023-24 में देश में मोबाइल फोन का उत्पादन बढ़कर 33 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान 5 करोड़ मोबाइल फोन का निर्यात भी किया गया। मूल्य के लिहाज से 2014-15 में 1,556 करोड़ और 2017-18 में 1,367 करोड़ रुपये का निर्यात करने वाले भारत ने 2023-24 में 1,28,982 करोड़ रुपये के मोबाइल फोन विभिन्न देशों को बेचा। मोबाइल फोन का आयात भी 2014-15 के 48,609 करोड़ से घटकर 2023-24 में सिर्फ 7,665 करोड़ रुपये रह गया।