पूजा खेडकर की मां से जुड़ी इंजीनियरिंग फर्म की गई सील, दो साल से जमा नहीं किया था संपत्ति कर

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पुणे। ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम ने शु्क्रवार को पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर से जुड़ी इंजीनियरिंग फर्म को सील कर दिया। फर्म पर दो लाख रुपये संपत्ति कर बकाया था। इसे दो साल से जमा नहीं किया गया था। कनिष्ठ अधिकारी की मां इन दिनों एक आपराधिक मामले में पुणे पुलिस की हिरासत में हैं।
नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि तालावडे क्षेत्र स्थित थर्मोवेरिटा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को संपत्ति कर न चुकाने पर सील किया गया। पूजा खेडकर ने सिविल सेवा में चयन के दौरान कोटा पाने के लिए पिपंरी चिंचवाड़ स्थित यशवंत राव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था। इसमें उन्होंने इंजीनियरिंग फर्म की जानकारी अपने स्थानीय पते के तौर पर दी थी। नगर आयुक्त शेखर सिंह ने बताया कि फर्म पर साल 2022-2023 और 2023-2024 का संपत्ति कर बकाया है। साथ ही फर्म ने मौजूदा वर्ष का भी बकाया जमा नहीं किया है। बकाया न चुकाने पर फर्म को 2023 में नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद पहली कार्रवाई के तौर पर फर्म का पानी का कनेक्शन काटा गया। इसके बाद भी कर जमा न करने पर संपत्ति को सील किया गया है। फर्म का पिछले दो साल का बकाया 1.96 लाख रुपये है। इस साल का बकाया जोड़ने पर यह रकम 2.77 लाख रुपये हो गई है। पूजा की मां मनोरमा खेडकर को गुरुवार को पुणे ग्रामीण पुलिस ने मुलशी तहसील के धादवाली गांव जमीन विवाद में पिस्तौत लहराते हुए एक युवक को धमकाने के मामले में गिरफ्तार किया था।
यूपीएससी ने परीक्षा में धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज कराई एफआईआर 
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शुक्रवार को परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की। आयोग की ओर से उठाए गए कदमों में पूजा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना शामिल है। उन पर फर्जी पहचान पत्र के जरिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के आरोप में एफआईआर कराई गई है। आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से रोकने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) 2023 बैच की अधिकारी पूजा खेडकर पर हाल में पुणे में अपने प्रशिक्षण के दौरान विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने और सिविल सेवा में चयन के लिए फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था।
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