तिरुवनंतपुरम। सूर्य के अध्ययन के लिए भेजे गए भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन यान आदित्य एल1 अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही अपने लक्षित पॉइंट तक पहुंच जाएगा। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इसकी जानकारी दी है। इसरो चीफ ने कहा कि आदित्य सही रास्ते पर है और मुझे लगता है कि यह अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि संभव है कि सात जनवरी को आदित्य एल1 अपना अंतिम मैनुवर पूरा कर एल1 पॉइंट में दाखिल होगा।
बता दें कि आदित्य एल1 को बीती 2 सितंबर 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। आदित्य एल1 स्पेस यान करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर 125 दिनों में सूर्य के नजदीक स्थित लैग्रेजियन पॉइंट तक पहुंचेगा। आदित्य एल1 लैग्रेजियन पॉइंट से सूर्य की तस्वीरें लेकर पृथ्वी पर भेजेगा। आदित्य एल1 की मदद से इसरो सूर्य के किनारों पर होने वाली हीटिंग का अध्ययन करेगा और सूरज के किनारों पर उठने वाले तूफानों की गति और उसके तापमान के पैटर्न को समझने की कोशिश की जाएगी।
क्या है लैग्रेजियन पॉइंट
लैग्रेजियन पॉइंट इतालवी-फ्रेंच गणितज्ञ जोसेफी लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। इसे एल1 के नाम से जाना जाता है। धरती और सूर्य के बीच ऐसे पांच पॉइंट हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्ण बल नियंत्रित रहता है। इन पॉइंट पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। इन पॉइंट से सूर्य का अध्ययन करना संभव है। खास बात ये है एल1 पॉइंट से सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखा जा सकता है और यहां से रियल टाइम से सौर गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
लैग्रेजियन पॉइंट इतालवी-फ्रेंच गणितज्ञ जोसेफी लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। इसे एल1 के नाम से जाना जाता है। धरती और सूर्य के बीच ऐसे पांच पॉइंट हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्ण बल नियंत्रित रहता है। इन पॉइंट पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। इन पॉइंट से सूर्य का अध्ययन करना संभव है। खास बात ये है एल1 पॉइंट से सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखा जा सकता है और यहां से रियल टाइम से सौर गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।