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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को सभी हवाई अड्डा संचालकों को निर्देश दिया कि हवाई अड्डे की इमारतों और संबंधित बुनियादी ढांचों की मजबूती का तीसरे पक्ष से ऑडिट कराया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने यह भी कहा कि हर साल मानसून की शुरुआत से पहले इमारतों के सभी सिविल, इलेक्ट्रिकल और तकनीकी पहलुओं का गहन मूल्यांकन किया जाएगा। ये निर्देश पिछले महीने तीन हवाई अड्डों पर छत गिरने की घटनाओं के मद्देनजर आए हैं। भारी बारिश के बीच 28 जून को दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल 1-डी पर छत ढह गई थी। इसके अलावा, 27 और 29 जून को जबलपुर और राजकोट हवाई अड्डों पर भी क्षत गिरी थी। आज राज्यसभा को सौंपे गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के 121 हवाई अड्डों पर मरम्मत और रखरखाव कार्यों पर 795.72 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
इस बीच, विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने उच्च सदन को बताया कि मंत्रालय ने दिल्ली हवाई अड्डे पर हुई घटना का आकलन करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए आईआईटी दिल्ली के इंजीनियरों की एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की है। इसके अलावा, हवाई अड्डा संचालकों को आईआईटी, एनआईटी, सीबीआरआई, ईआईएल आदि जैसे प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों या निकायों के जरिए से हवाई अड्डा भवनों और संबंधित बुनिया ढांचे की स्थिरता का तीसरे पक्ष से ऑडिट करने का निर्देश दिया गया है। मंत्री ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, सभी हवाई अड्डा संचालों को हर साल मानसून आने से पहले इमारत के सभी सिविल, इलेक्ट्रिकल और तकनीकी पहलुओं का गहन मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया है। जिसमें छंत की संरचना की डिजाइन भी शामिल है। इन मानकों का अनुपालन हो, इसके लिए डीजीसीए निगरानी निरीक्षण या स्थल निरीक्षण के रूप में नियमित रूप से ऑडिट करता है। एक अन्य जवाब में विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि एएआई ने जबलपुर और राजकोट हवाई अड्डों पर हुईं घटनाओं के मूल कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है।