बाबा महाकाल की पालकी में बनेगा रिकॉर्ड, 1,500 डमरुओं की आवाज गूंजेगी

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उज्जैन। श्रावण के तीसरे सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए 1500 डमरू वादकों द्वारा रामघाट पर 15 मिनट की प्रस्तुति दी जाएगी। यह आयोजन भस्म आरती की धुन पर किया जाएगा। डमरू वादक विशेष गणवेश में वादन करेंगे। इस आयोजन के लिए तीन दिनों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। उज्जैन में पहले भी कई विश्व रिकॉर्ड बनाए जा चुके हैं, लेकिन 5 अगस्त 2024 को बाबा महाकाल की तीसरी सवारी के दौरान एक अनोखा विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इस विश्व रिकॉर्ड के आयोजन की तैयारी पहले से ही जोरों पर है। यह आयोजन मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के तट पर स्थित रामघाट पर किया जाएगा। मंगलवार को महाकाल मंदिर समिति की बैठक में इस प्रस्तुति का स्वरूप तय किया गया। भस्म रमैया भक्त मंडल की ओर से अन्य वादकों को तीन दिनों तक प्रशिक्षण दिए जाने की योजना है। समिति के पदाधिकारियों के अनुसार, विशेष डमरू दल महाकाल की तीसरी सवारी में शामिल होगा। देश-विदेश से आए भक्तों को पांच किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर शिव को प्रिय वाद्यों की मंगल ध्वनि सुनाई देगी। एक जैसी गणवेश में झांझ और डमरू बजाते भक्तों को देखना एक अनोखा अनुभव होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का योगदान 
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कारण बाबा महाकाल की सवारी और भी भव्य होती जा रही है। उन्होंने सवारी को भव्यता प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। बाबा महाकाल की दो सवारी में लोक नृत्यों के साथ ही 350 सदस्यीय पुलिस बैंड की प्रस्तुति दी गई। पांच अगस्त 2024 को निकाली जाने वाली तीसरी सवारी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद उपस्थित रहेंगे। इस दिन भगवान शिव को अति प्रिय डमरू का वादन किया जाएगा। उज्जैन और भोपाल से बड़ी संख्या में डमरू वादक उज्जैन पहुंचेंगे।

पहली बार ऐसा आयोजन 
यह पहली बार हो रहा है कि 1500 डमरू बजाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया जा रहा है। यह आयोजन बाबा महाकाल की सवारी और डमरू वादन के साथ आराधना को समर्पित होगा। विश्व रिकॉर्ड टीम के अधिकारी भी इस दिन उपस्थित रहेंगे और यह प्रस्तुति लगभग 10 मिनट तक चलेगी।

आयोजन की तैयारी 
उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि डमरू वादन के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है और तैयारी शुरू हो चुकी है। एक समिति का गठन किया गया है, जो आयोजन का स्थान, डमरू वादकों की संख्या, और आयोजन के दौरान वादन की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। उज्जैन और भोपाल के कलाकारों के साथ ही बाबा महाकाल की सवारी में निकलने वाली भजन मंडलियां भी इसमें शामिल होंगी।

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