स्वाति मालीवाल मारपीट केस: ‘सीएम आवास में ऐसे गुंडे को जगह…’, केजरीवाल के पीए बिभव को सुप्रीम कोर्ट की लताड़

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के मामले में उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘उन्होंने (बिभव कुमार) इस तरह आचरण किया जैसे कोई गुंडा मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुस गया हो।’ सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार के वकील से पूछा कि ‘क्या मुख्यमंत्री आवास निजी बंगला है? क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए।

अभिषेक मनु सिंघवी ने उठाए सवाल
केजरीवाल के पीए बिभव कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बिभव कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुयन ने मामले की सुनवाई अगले बुधवार तक टाल दी है। सुनवाई के दौरान बिभव के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ‘बिभव कुमार बीते 75 दिनों से हिरासत में हैं। सिंघवी ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि स्वाति मालीवाल ने घटना के तीन दिन बाद क्यों एफआईआर दर्ज कराई? लेकिन वहीं बिभव की शिकायत उसी दिन दर्ज नहीं की गई। सिंघवी ने कहा कि मालीवाल की चोटें गंभीर नहीं थीं और सामान्य चोटें थी। वह घटना वाले दिन ही वह पुलिस स्टेशन गईं थी, लेकिन बिना शिकायत के वापस क्यों लौट आईं।

सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हत्यारों और लुटेरों को जमानत मिल सकती है, लेकिन मालीवाल के मामले में बिभव कुमार पर जो आरोप हैं, हम उन्हें खुले में भी नहीं पढ़ना चाहते। जब मालीवाल ने बिभव को शारीरिक समस्या की वजह से मारपीट न करने की अपील की थी, तब भी ये व्यक्ति नहीं रुका! वह क्या सोच रहा था, सत्ता इसके सिर चढ़ गई थी।

स्वाति मालीवाल से मारपीट का है आरोप
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की शिकायत पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मालीवाल ने शिकायत में कहा था कि जब वह 13 मई को सीएम आवास मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने पहुंचीं थी तो बिभव ने उनके साथ मारपीट की। मालीवाल की शिकायत पर पुलिस ने बिभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना है कि बिभव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। बिभव ने जमानत के लिए 27 मई को ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से जमानत खारिज होने के बाद सत्र न्यायालय में अपील की। वहां से भी निराशा के बाद बिभव ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी बिभव को राहत देने से इनकार कर दिया। अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिभव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
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