Rajya Sabha: ‘मैं अपने आपको यहां सक्षम नहीं पा रहा’, नारेबाजी से नाराज सभापति जगदीप धनखड़ कुर्सी छोड़कर उठे
नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति और संसद के उच्च सदन के सभपति जगदीप धनखड़ नाराज होकर कुर्सी से उठकर चले गए। वे विपक्षी दलों के नेताओं की नारेबाजी से नाराज थे। उन्होंने कहा कि आज यहा जो हुआ, वह ठीक नहीं है। यहां मुझे नहीं, बल्कि सभापति के पद को चुनौती दी जा रही है। विपक्ष के नेता मेरे खिलाफ टिप्पणी कर रहा है। मेरा अपमान कर रहे हैं। ऐसे में में इस कुर्सी पर बैठने के लिए खुद को सक्षम नहीं पा रहा हूं। इस बीच विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सदन में विनेश फोगाट के मुद्द को उठाना चाह रहे थे। इसकी अनुमति नहीं मिलने पर विपक्षी नेता नारेबाजी करने लगे। इस पर ही सभापति नाराज हो गए।
आइए पढ़ते हैं सभापति का बयान विस्तार से…
विपक्ष के हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने के लिए अनुमति दी। उन्होंने खरगे से पूछा आप क्या कहना चाहते हैं। इस पर खरगे ने कहा की हमने कल भी यह बात रखी थी। यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह सिर्फ विनेश फोगाट से जुड़ा नहीं है। हम यह चर्चा करना चाहते हैं कि इसके पीछे आखिर कौन है? इसी दौरान विपक्ष की ओर से हंगामा शुरू हो गया। सभापति ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा तो हंगामा तेज हो गया। इसी दौरान सभापति जगदीप धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन पर नाराजगी जताते हुए कहा, ”सदन में आपका व्यवहार सबसे खराब है। आप चेयर की ओर चिल्ला रहे हैं। मैं आपके व्यवहार की निंदा करता हूं। अगली बार मैं आपको सदन के बाहर कर दूंगा। आपने चेयर पर चिल्लाने की हिम्मत कैसे की।” इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष के वॉकआउट के बाद भी सभापति अपनी पीड़ा वक्त करते रहे। उन्होंने कहा, ”हमने सदन के अंदर अभी सबसे खराब स्थिति को देखा। हमने आपातकाल के दौरान अपने संविधान का सबसे काला दौर देखा था। हमें पता है यह कैसे शुरू हुआ था। यह सबसे संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने के साथ शुरू हुआ था। जून 1975 में चुनौती थी। अभी भी गंभीर चुनौती है। क्या इस तरह के व्यवहार की कोई सही ठहरा सकता है। उन्होंने कहा, ‘वो सोचते हैं वो सभी बहुत बुद्धिमान हैं। वो सोचते हैं अकेले वही हैं जिनके दिल को दुख पहुंचा है। हमारी बेटी (विनेश फोगाट) को लेकर पूरा देश दुखी है। चाहे राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री हों, मैं खुद हूं सभी इस दुख को महसूस कर रहे हैं। लेकिन, इसका लाभ उठाना, इस पर राजनीति करना उस बेटी का अपमान है। उस लड़की को बहुत आगे जाना है। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश था कि हरियाणा सरकार ने तुरंत इस बात का एलान किया कि वो उसे सभी सुविधाएं और आर्थिक लाभ देंगे जो पदक विजेता को मिलता है। राज्य सरकार ने उन्हें पदक विजेता के तौर पर सम्मान दिया है। दूसरी ओर इस सदन में क्या हो रहा है? कल जब नेता प्रतिपक्ष ने अपना हाथ उठाया तो मैंने उन्हें अपनी बात रखने की अनुमति दी। नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष ने बहुत महत्वपूर्ण बातें रखीं। मैंने उन्हें एक संदेश भेजा। आप कौन सा मुद्दा उठाना चाहते हैं। उनकी ओर से जवाब आया मैं एक सार्वजनिक महत्व का मुद्दा उठाना चाहता हूं। क्या इससे विषय का पता चलता है, क्या इससे इसके महत्व का पता चलता है, क्या इससे इसकी अर्जेंसी का पता चलता है? इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नेता प्रतिपक्ष का आशय यह था कि चेयर रबर स्टैंप है। इसके बाद नेता सदन जेपी नड्डा ने विपक्ष के व्यवहार की निंदा की। इसके बाद उपराष्ट्रपति ने कहा कि माननीय सदस्यगण इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठाराघात करना। अध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करना, शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण वातावरण करना, यह अमर्यादित आचरण नहीं है, यह हर सीमा को लांघित करने वाला आचरण है। यह सदन इस समय देश की रूलिंग पार्टी के अध्यक्ष को यहां सदन के नेता को रूप में देख रहा है। यह सदन प्रतिपक्ष ने अध्यक्ष को भी यहां नेता प्रतिपक्ष के रूप में यहां देख रहा है। कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठतम नेता भी इस सदन की सदस्य हैं।
विपक्ष के हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने के लिए अनुमति दी। उन्होंने खरगे से पूछा आप क्या कहना चाहते हैं। इस पर खरगे ने कहा की हमने कल भी यह बात रखी थी। यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह सिर्फ विनेश फोगाट से जुड़ा नहीं है। हम यह चर्चा करना चाहते हैं कि इसके पीछे आखिर कौन है? इसी दौरान विपक्ष की ओर से हंगामा शुरू हो गया। सभापति ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा तो हंगामा तेज हो गया। इसी दौरान सभापति जगदीप धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन पर नाराजगी जताते हुए कहा, ”सदन में आपका व्यवहार सबसे खराब है। आप चेयर की ओर चिल्ला रहे हैं। मैं आपके व्यवहार की निंदा करता हूं। अगली बार मैं आपको सदन के बाहर कर दूंगा। आपने चेयर पर चिल्लाने की हिम्मत कैसे की।” इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष के वॉकआउट के बाद भी सभापति अपनी पीड़ा वक्त करते रहे। उन्होंने कहा, ”हमने सदन के अंदर अभी सबसे खराब स्थिति को देखा। हमने आपातकाल के दौरान अपने संविधान का सबसे काला दौर देखा था। हमें पता है यह कैसे शुरू हुआ था। यह सबसे संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने के साथ शुरू हुआ था। जून 1975 में चुनौती थी। अभी भी गंभीर चुनौती है। क्या इस तरह के व्यवहार की कोई सही ठहरा सकता है। उन्होंने कहा, ‘वो सोचते हैं वो सभी बहुत बुद्धिमान हैं। वो सोचते हैं अकेले वही हैं जिनके दिल को दुख पहुंचा है। हमारी बेटी (विनेश फोगाट) को लेकर पूरा देश दुखी है। चाहे राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री हों, मैं खुद हूं सभी इस दुख को महसूस कर रहे हैं। लेकिन, इसका लाभ उठाना, इस पर राजनीति करना उस बेटी का अपमान है। उस लड़की को बहुत आगे जाना है। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश था कि हरियाणा सरकार ने तुरंत इस बात का एलान किया कि वो उसे सभी सुविधाएं और आर्थिक लाभ देंगे जो पदक विजेता को मिलता है। राज्य सरकार ने उन्हें पदक विजेता के तौर पर सम्मान दिया है। दूसरी ओर इस सदन में क्या हो रहा है? कल जब नेता प्रतिपक्ष ने अपना हाथ उठाया तो मैंने उन्हें अपनी बात रखने की अनुमति दी। नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष ने बहुत महत्वपूर्ण बातें रखीं। मैंने उन्हें एक संदेश भेजा। आप कौन सा मुद्दा उठाना चाहते हैं। उनकी ओर से जवाब आया मैं एक सार्वजनिक महत्व का मुद्दा उठाना चाहता हूं। क्या इससे विषय का पता चलता है, क्या इससे इसके महत्व का पता चलता है, क्या इससे इसकी अर्जेंसी का पता चलता है? इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नेता प्रतिपक्ष का आशय यह था कि चेयर रबर स्टैंप है। इसके बाद नेता सदन जेपी नड्डा ने विपक्ष के व्यवहार की निंदा की। इसके बाद उपराष्ट्रपति ने कहा कि माननीय सदस्यगण इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठाराघात करना। अध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करना, शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण वातावरण करना, यह अमर्यादित आचरण नहीं है, यह हर सीमा को लांघित करने वाला आचरण है। यह सदन इस समय देश की रूलिंग पार्टी के अध्यक्ष को यहां सदन के नेता को रूप में देख रहा है। यह सदन प्रतिपक्ष ने अध्यक्ष को भी यहां नेता प्रतिपक्ष के रूप में यहां देख रहा है। कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठतम नेता भी इस सदन की सदस्य हैं।