मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पेंशन के कई मामले काफी गंभीर हैं। कैंसर से जूझ रहे एक जिला जज का उदाहरण देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कई जिला न्यायाधीशों ने याचिका दायर कर पेंशन संबंधी शिकायतों को उठाया है। मामले पर सुनवाई कर रही पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि ‘जिला जज को सिर्फ 15 हजार रुपये की पेंशन मिल रही है। जिला जज से आमतौर पर जज पदोन्नत होकर उच्च न्यायालय आते हैं, लेकिन वो भी 56-57 साल की उम्र में आते हैं और तब उन्हें 30 हजार रुपये महीने की पेंशन मिलती है।’
27 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्च न्यायालयों के बहुत कम न्यायाधीशों को ही मध्यस्थता के मामले मिलते हैं और इसके अलावा, 60 वर्ष की आयु में वे कानूनी प्रैक्टिस भी नहीं कर सकते। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जिला न्यायालय के न्यायाधीशों के पेंशन पहलुओं से संबंधित मामले पर बहस करने के लिए कुछ समय मांगा। जिसके बाद पीठ ने सुनवाई 27 अगस्त तक टाल दी। बता दें कि अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर न्यायाधीशों की पेंशन का मुद्दा उठाया। शीर्ष अदालत की न्यायालय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रहे वकील के परमेश्वर ने बताया कि कई राज्यों ने न्यायिक अधिकारियों को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के बकाया भुगतान पर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों का अनुपालन किया गया है।