अब ड्रोन से होगा जमीन का सर्वे, एलजी के निर्देश पर डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया ने किया समझौता

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नई दिल्ली। दिल्ली का चप्पा-चप्पा अब कंप्यूटर की स्क्रीन पर होगा। इससे अलग-अलग सरकारी एजेंसियों की जमीन की पहचान हो सकेगी। इससे अतिक्रमण, अवैध कब्जों व निर्माण की जमीनी हकीकत पता चलेगी। वहीं, नाली, सड़क समेत दूसरी नागरिक सुविधाओं की रीयल टाइम मैंपिंग होगी। यह सब ड्रोन की मदद से संभव होगा। शुक्रवार इसके लिए डीडीए ने एमसीडी व सर्वे ऑफ इंडिया से करार किया है। इससे पहले उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अलग-अलग एजेंसियों से उनके पास मौजूद जमीन का डाटा मांगा था। लेकिन किसी भी एजेंसी से इनका संतुष्ट जवाब नहीं मिल सका। इसके बाद उपराज्यपाल ने पूरी दिल्ली के ड्रोन सर्वे की संभावना का पता लगाने के आदेश दिया। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए बीते दिनों उपराज्यपाल को 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किए गए ट्रायल रन के नतीजे दिखाए गए। इसमें एक वर्ग मीटर क्षेत्र तक की भी हाई रिजॉल्यूशन की तस्वीरों की मैपिंग की गई थी। ट्रायल रन के नतीजे बेहतर मिलने पर अब पूरी दिल्ली का ड्रोन सर्वे के दायरे में लाया जा रहा है। तीनों एजेंसियों ने करार इसी मकसद से किया है।  माना जा रहा है कि इससे डीडीए और एमसीडी को अपने अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण, अनधिकृत निर्माण और भूमि उपयोग में बदलाव की बेहतर जानकारी रहेगी। साथ ही हर नाली, गली, सड़क की यथास्थिति ही नहीं, जमीन पर फैले कूड़े की भी रीयल टाइम मैपिंग होगी।

सर्वेक्षण में यह होगा कार्य 

  • दिल्ली के हर कोने का होगा एकीकृत आंकड़ा
  • मानचित्र बनाने की अत्याधुनिक तकनीक का होगा इस्तेमाल, दिल्ली का मानचित्र होगा सटीक
  • इससे छोटी से छोटी चीजों की डिजिटल तस्वीर मिलेगी
  • भूमि के स्वामित्व की जानकारी होती रहेगी अपडेट
  • बदलाव होते ही आंकड़े होंगे नवीनतम
  • संपत्ति का पुनःसर्वेक्षण, प्रशासनिक सीमा, स्थलाकृति की मिलेगी जानकारी
  • रिकॉर्ड का होगा डिजिटलीकरण
  • तैयार होगा जियो-पोर्टल
  • अधिकारियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

मिलेगी सटीक जानकारी  
ड्रोन सर्वेक्षण से उच्च स्तर की सटीक जानकारी उपलब्ध होगी। इससे संरचनाओं की सटीक सीमा निर्धारण में मदद मिलेगी। अतिक्रमण के वास्तविक समय के आंकड़े मिलने से समय पर कार्रवाई करना मुमकिन होगा। नतीजन अतिक्रमण व अवैध कब्जों के विस्तार की गुंजाइश नहीं रह जाएगी। एजेंसियों के पास जमीन होने से वह अपने हिस्से में होने वाले विकास कार्यों का नियोजन कर सकेंगे।

यह है समझौते का उद्देश्य 
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सर्वेक्षण और मानचित्रण गतिविधियों द्वारा भू-स्थानिक डेटा उत्पन्न करना है। यह राजस्व विभाग, आवास विभाग, शहरी विकास, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, पर्यावरण विभाग, कृषि विभाग, वन विभाग, आपदा प्रबंधन सहित दिल्ली में डीडीए, एमसीडी और विभिन्न अन्य विभागों के डेटा के एकीकरण के लिए आधार के रूप में कार्य करेगा। इससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो पाएगा। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली को बेहतर बनाने की दिशा में यह आंकड़े अहम भूमिका अदा करेंगे। दिल्ली मुख्य योजना (एमपीडी) के अनुसार नियोजित विकास में मदद मिलेगी।

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