शिमला। आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल की सुक्खू सरकार आम जनता पर टैक्स का एक और बोझ लादने जा रही है। घरों में मौजूद टॉयलेट सीट्स की संख्या के आधार पर टैक्स चुकाना होगा। दरअसल, वित्तीय संकट से जूझ रही राज्य सरकार ने हाल ही में इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आमतौर पर लोग अपने घरों में कई टॉयलेट बनवाते हैं और अब प्रत्येक टॉयलेट सीट पर शुल्क लगाया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में कुल 5 नगर निगम, 29 नगर पालिकाएं और 17 नगर पंचायतें हैं, जिनमें कुल मिलाकर लगभग 10 लाख लोग रहते हैं। सरकार के नए आदेश से राज्य की एक बड़ी आबादी पर असर पड़ने की उम्मीद है।
सीवरेज और पानी के बिल से जुड़ी सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने घर में बने टॉयलेट की हर एक सीट के लिए 25 रुपये का शुल्क देना होगा। सीवरेज बिल के साथ यह अतिरिक्त शुल्क जल शक्ति विभाग के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि सीवरेज बिल पानी के बिल का 30 प्रतिशत होगा। नोटिफिकेशन के अनुसार, जो लोग अपने सोर्स से पानी का उपयोग करते हैं और केवल सरकारी विभाग से सीवरेज कनेक्शन का उपयोग करते हैं, उन्हें हर महीने प्रति टॉयलेट सीट 25 रुपये का शुल्क देना होगा। विभाग ने इसे लेकर आदेश सभी मंडल अधिकारियों को जारी कर दिए हैं। इससे पहले पहाड़ी राज्य में पानी के बिल जारी नहीं किए जाते थे। बीजेपी सरकार ने घोषणा की थी कि अगर वह सत्ता में आई तो मुफ्त पानी दिया जाएगा। लेकिन हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने अब हर कनेक्शन पर 100 रुपये महीने पानी का बिल जारी करने का आदेश दिया है। इसकी शुरुआत अक्टूबर से हो गई है। शहरी क्षेत्रों में रहने वालों को इन नए सरकारी शुल्कों का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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