धनतेरस पर देश में 60 हजार करोड़ का कारोबार

वोकल फॉर लोकल से चीन को लगी 1 लाख 25 हजार करोड़ की चपत

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नई दिल्ली। धनतेरस पर देश भर में 60 हजार करोड़ रुपए का व्यापार होने का अनुमान है। बाजारों में चारों तरफ वोकल फॉर लोकल की धूम है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक, सोने चांदी की खरीद में हुआ उछाल देखा गया है। धनतेरस पर देवी देवताओं की तस्वीर, बर्तन, वाहन सहित झाड़ू खरीदने का भी रिवाज है। एक अनुमान के अनुसार, दीवाली से जुड़े चीनी सामानों की बिक्री अब न होने से चीन को लगभग 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये के व्यापार की चपत लगी है।
खंडेलवाल ने बताया, दीवाली के त्योहारों की श्रृंखला में मूल रूप से धनतेरस का त्योहार दिल्ली सहित देश भर के व्यापारियों के लिए व्यापार में बिक्री का एक बड़ा दिन माना जाता है। इसके लिए व्यापारियों ने देश भर में बड़ी तैयारियां की हैं। दीवाली पर वोकल फॉर लोकल का दर्शन पूरी तरह बाजारों में दिख रहा है। खंडेलवाल का दावा है कि बाजारों में अधिकांश वस्तुओं की खरीदारी भारतीय सामानों की ही हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दीवाली पर वोकल फॉर लोकल की अपील को कैट ने अपना समर्थन देते हुए देश भर के व्यापारिक संगठनों से आग्रह किया है कि वे अपने क्षेत्र की जो महिलाएं, कुम्हार व दूसरे कारीगर सहित अन्य ऐसे लोग, जो दीवाली से संबंधित सामान बना रहे हैं, उनकी बिक्री में वृद्धि करने में सहायता करें। इस अपील का मकसद, उन लोगों की खुशी को बढ़ाना है। कैट के दिल्ली सहित अन्य सभी राज्यों के व्यापारी नेता, अपने अपने शहरों में कुम्हारों और स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाया गया सामान खरीदेंगे।
धनतेरस के दिन सिद्धि विनायक श्री गणेश जी, धन की देवी महालक्ष्मी जी तथा श्री कुबेर की पूजा होती है। इस दिन नई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन खासतौर पर सोना चांदी के आभूषण तथा अन्य वस्तुएं, सभी प्रकार के बर्तन, रसोई का सामान, वाहन, कपड़े एवं रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली का सामान एवं उपकरण, व्यापार करने के उपकरण जैसे कंप्यूटर एवं कंप्यूटर से जुड़े उपकरण, मोबाइल, बही खाते, फर्नीचर, अकाउंटिंग का अन्य सामान आदि विशेष रूप से खरीदे जाता है।

20 हजार करोड़ का सोना बिका
प्राचीन मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू भी अवश्य खरीदी जाती है। उधर धनतेरस पर देश भर में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का सोना और लगभग 2500 करोड़ की चांदी खरीदी जाने का अनुमान है। ज्वेलरी सेक्टर के कैट के संगठन ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया, धनतेरस पर पूरे देश में सोने और चांदी की जबरदस्त बिक्री हुई है। देश में लगभग चार लाख छोटे और बड़े ज्वेलर्स काम करते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो में 2 लाख ज्वेलर्स पंजीकृत हैं, जिन्होंने मंगलवार को लगभग 25 टन सोने की बिक्री की है। इसका मूल्य 20 हज़ार करोड़ रुपये तथा इसी तरह देश भर में 250 टन चांदी बिकी, जिसकी कीमत लगभग 2,500 करोड़ रुपये है। पिछले वर्ष सोने का भाव 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो अब 80 हजार से अधिक है। चांदी का भाव पिछले वर्ष 70 हजार था, जो अब 1 लाख पहुंच गया है। वजन में बिक्री कम होने के बावजूद भी मुद्रा के रूप में बिक्री बढ़ी है। इसके अलावा पुराने चांदी के सिक्के की भी जबरदस्त मांग रही है। यह सिक्का पूरे देश में 1200 से 1300 प्रति नग बिका है। कैट की वैदिक एवं ज्योतिष कमेटी के संयोजक तथा प्रख्यात वेद मर्मज्ञ उज्जैन के आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया, भगवान धन्वंतरि का प्रदूर्भाव भी धनतेरस के ही के दिन हुआ था। भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के अवतार हैं। वे औषधि के देवता भी हैं। इस दृष्टि से देश भर में भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है, इसीलिए धनतेरस पर पीतल आदि के बर्तन खरीदना, शुभ माना गया है। धनतेरस के दिन बर्तनों एवं खाना बनाने वाले सामानों की बिक्री बड़े पैमाने पर होती है। देश भर में लोगों के अलावा कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े लोग, स्थानीय हलवाई, कॉंट्रैक्ट पर काम करने वाले रसोइये, होटल एवं रेस्टोरेंट व्यवसाय के लोग धनतेरस के दिन विशेष रूप से बर्तन आदि अवश्य खऱीदते हैं।

 

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