JABALPUR: सर्वेयर बेटा और पिता पटवारी, ग्रामीणों के हक पर डाका

216

जबलपुर। जबलपुर तहसील के अंतर्गत के आने वाले एक पटवारी हल्का में गज़ब का घालमेल चल रहा है। यह घालमेल ना तो जिले के मुखिया को दिखा रहा है ना ही सबंधित एसडीएम को और ना ही जबलपुर तहसील के तसीलदार को । गांव के बेरोजगार युवकों को बिना अपना गांव छोड़ें कामधाम पर लगाने और कुछ आये के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन ने पटवारी के साथ सर्वेयर नियुक्त करने की योजना लागू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत सर्वेयर खेती किसानी के दौरान खेतों में लगाई जाने वाली फसल को दर्ज करने के पूर्व सर्वे कर सत्यापित करना होता है। इसके लिए प्रति सत्यापन शासन की ओर सर्वेयर को एक निश्चित राशि का भुगतान होता है । सीधी सी बात है काम मलाईदार है। सूत्रों के अनुसार सर्वेयर नियुक्त करने के कार्य में प्राथमिकता यह थी कि सर्वे का काम या तो उसी गांव का कोई व्यक्ति जो थोड़ा पढ़ा लिखा हो वह करें। लेकिन यहां तो पटवारी ने अपने ही बेटे को गरीब लोगों का हक मारकर शासन की मंशा के विपरीत काम करते हुए अपने ही बेटे को सर्वेयर बना लिया। मामला जबलपुर तहसील अंतर्गत आने वाले पटवारी हल्का नंबर 30 का है। यहां पर किशोरीलाल विश्वकर्मा पटवारी। उक्त पटवारी ने अपने बेटे संजय विश्वकर्मा को अपने ही हल्के का सर्वेयर नियुक्त करवा लिया है। अब दोनों पिता पुत्र अपने लग्जरी वाहन स्कोरियों में क्षेत्र में घूमते है।
अब चर्चा इस बात की भी हो रही है कि इस नियुक्ति पर स्वीकृति एसडीएम से प्राप्त हुई है या फिर तहसीलदार से क्योंकि कार्य तो शासन की मंशा के विपरीत ही हुआ है। पटवारी सर्वेयर के पास गिरदावरी दर्ज करने के लिए ग्रामीणों को भेजता है। सर्वेयर पटवारी के नाम पर नियम कानून का पहाड़ खड़ा कर देता है। उद्देश्य की पूर्ति होने पर ही पटवारी की कलम से शाही बाहर आती है। पटवारी पिता के इशारे के बिना, सर्वेयर बेटा काम नहीं करता। इस बात की शिकायत कई ग्रामीणों द्वारा संबंधित जनों तक पहुंचाई गई, लेकिन अभी तक शासन की मंशा के विपरीत हुए इस कार्य पर अधिकारियों की छुट्टी की मेहरबानी बनी हुई है।

अतिक्रमण हटाने की सेटिंग में आ चुका है नाम
कुछ दिनों पहले नारायणपुर गांव के अंतर्गत आने वाले मुख्य मार्ग से अतिक्रमण हटाने का काम किया गया था। इस दौरान भी कुछ पटवारी और उसके पुत्र पर सेटिंग कर कुछ अतिक्रमण कार्यों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगाए थे। यह मामला भी एसडीएम और तहसीलदार तक पहुंचा था। बाद में सभी अतिक्रमण हटाए गए लेकिन सेटिंगबाजी का हल्ला पूरे विभाग में मच गया था।

Leave A Reply

Your email address will not be published.