मप्र में गहराया खाद संकट…खाद की सप्लाई में 25 प्रतिशत की गिरावट

घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी नहीं मिल रहा खाद... रोज किसान कर रहे प्रदर्शन...सडक़ों पर जाम के बाद भी समस्या का समाधान नहीं

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भोपाल/भिंड/टीकमगढ़। मप्र को सात बार कृषि कर्मण अवार्ड विजेता बनाने वाले किसान इनदिनों खाद के लिए परेशान हैं। प्रदेश में खाद की किल्लत इस कदर बढ़ गई है कि किसानों को लंबी-लंबी लाइनों में लग के धक्के खाने पड़ रहे हैं कई जगह तो किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। गुना में किसानों ने हंगामा किया, वहीं टीकमगढ़ और सतना में चक्का जाम किया। वहीं, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में खाद पर्याप्त मात्रा में पहुंच रही है। डीएपी की कुछ कमी है किसानों द्वारा खाद स्टोरेज किए जाने से खाद की किल्लत हुई है। वहीं कुछ कालाबाजारी भी चल रही है जिसके रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इससे पहले भोपाल, सीहोर, भिंड, टीकमगढ़, सागर, निवाड़ी समेत कई जिलों में किसान खाद के लिए हंगामा कर चुके हैं। लगातार खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं। आलम यह है कि बुवाई के इस दौर में खेत खाली पड़े हैं और किसान खाद के लिए कतार में हैं। मप्र देश का अग्रणी राज्य है। दालों के उत्पादन में मप्र देश में 24 प्रतिशत उत्पादन के साथ प्रथम है। अनाजों के उत्पादन में 12 प्रतिशत उत्पादन के साथ देश में द्वितीय और तिलहन के उत्पादन में 20 प्रतिशत उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है। प्रदेश की कृषि विकास दर 19 प्रतिशत है। प्रदेश में रबी फसलों की बोनी 142 लाख हेक्टेयर में होती है। प्रदेश में किसान मुख्यत: गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी की खेती करते हंै। जिसके लिए आठ लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग है। लेकिन सहकारी समितियों के गोदाम खाली पड़े हैं। प्रदेश में डीएपी खाद की मांग को लेकर किसानों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। खाद वितरण केंद्रों पर सुबह 5 बजे लाइन लग जाती है।

किसान विकल्प लेने को तैयार नहीं
मप्र में इस बार बुवाई के समय डीएपी खाद कम मिल रही है। दुनिया में चल रहे युद्ध संकट की वजह से खाद की कीमतें बढ़ गई हैं और सप्लाई में 25 फीसदी तक की कमी आई है। हालांकि कृषि विभाग का कहना है कि किसान भाइयों को घबराने की जरूरत नहीं है। इसके वैकल्पिक खाद एनपीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उधर, किसानों को पिछले साल की तरह डीएपी नहीं मिल पा रही है। प्रदेश में डीएपी (18-46) खाद की भारी कमी है, जबकि किसान इसके विकल्प लेने को तैयार नहीं हैं। इसके अलावा कुछ निजी विक्रेताओं पर ओवर रेटिंग के आरोप भी लगे हैं। प्रशासन ने इस मामले में मैहर के दो निजी विक्रेताओं समेत कई अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

टीकमगढ़ में मिली नकली खाद
टीकमगढ़ जिले के दिगौड़ा थाना क्षेत्र के मऊ बुजुर्ग गांव में मंगलवार को नकली डीएपी खाद का मामला सामने आया है। पुलिस ने छापामार कार्रवाई कर मौके से 170 बोरी नकली डीएपी खाद जब्त किया है। मामले में मकान मालिक सहित नकली पैकिंग कर रहे मजदूरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दिगौड़ा पुलिस ने मंगलवार को मऊबुजुर्ग में एक खाली नव निर्मित मकान से अवैध नकली डीएपी खाद बरामद किया है। थाना प्रभारी नीरज लोधी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर छापामार कार्रवाई की गई। टीम ने मकान से 170 नकली डीएपी खाद की बोरियों को जप्त किया है। मौके से नकली खाद की बोरियों को भर रहे 4 मजदूरों को गिरफ्तार किया है। जतारा एसडीएम ने इसकी सूचना कृषि विभाग के अधिकारियों को दी। जानकारी लगते ही वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी ग्राम सेवक के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने नकली खाद की पहचान की।

चित्रकूट स्टेट हाइवे जाम
सतना में मंगलवार को किसानों ने खाद की किल्लत को लेकर प्रदर्शन किया। सिविल लाइन स्थित गोदाम में खाद की आपूर्ति को लेकर एकत्रित हुए किसानों ने गुस्से में आकर सडक़ पर जाम लगा दिया, जिससे सतना-कोठी-चित्रकूट मार्ग पर वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। किसानों ने गोदाम के बाहर नारेबाजी करते हुए खाद की कमी का विरोध किया। एसडीएम सिटी राहुल सिलाडिय़ा और सिविल लाइन टीआई योगेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और किसानों से सडक़ खाली करने की अपील की। थोड़ी देर की नोकझोंक के बाद एसडीएम ने किसानों से बातचीत की और उन्हें आश्वस्त किया कि प्रशासन खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि खाद और रैक सतना पहुंच रहे हैं और जल्द ही समस्या का समाधान होगा।

गेहूं की बुवाई में हो रही देरी
नवंबर का अंत होने के कारण गेहूं की बुवाई का समय भी निकल रहा है। 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक गेहूं की बुवाई का उपयुक्त समय माना जाता है, लेकिन खाद की कमी के कारण किसान बुवाई में देरी का सामना कर रहे हैं। स्थिति यह है कि खाद के लिए किसान सुबह 5 बजे घर से निकलकर बिना खाए-पीए कतार में खड़े हो जाते हैं। उधर, ब्लैक मार्केट में महंगे दाम पर खाद मिल रही है, लेकिन सरकारी रेट पर उपलब्ध नहीं हो रही।

स्टॉक उपलब्ध होने का दावा
कृषि विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में स्टॉक को ध्यान में रखकर उर्वरक व्यवस्था की जा रही है। पिछले वर्ष 1 अक्टूबर 2023 से 31 मार्च 2024 तक 18.82 लाख मैट्रिक टन यूरिया का विक्रय हुआ था। भारत सरकार द्वारा रखी 2024 के लिए 22 लाख मेट्रिक टन यूरिया प्रदाय करने की सहमति प्रदाय की गई है। अक्टूबर 2023 में यूरिया का विक्रय 4.67 लाख मीट्रिक टन हुआ था, जिसके विरुद्ध 8.53 लाख मीट्रिक ट्रांजिट सहित उपलब्ध है, जिसमें से 2.40 लाख.टन यूरिया का विक्रय हुआ है, 6.13 लाख टन स्टॉक में उपलब्ध है। वहीं, डीएपी की बात करें तो 1 अक्टूबर 2023 से 31 मार्च 2024 तक डीएपी एनपीके 10.36 लाख मैट्रिक टन का विक्रय हुआ था। भारत सरकार द्वारा रबी 2024-25 के लिए 14 लाख मैट्रिक टन का आवंटन दिया गया है। अक्टूबर 2023 में डीएपी एनपीके का विक्रय 437 लाख टन हुआ था, जिसके विरुद्ध अक्टूबर माह में 5.58 लाख टन ट्रांजिट सहित उपलब्ध है। इसमें से 2.20 लाख टन डीएपी एनपीके का विक्रय हुआ है, 3.36 लाख टन डीएपी एनपीके स्टॉक में उपलब्ध है।

 

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