नईदिल्ली। भारत में कोरोना के मामलों में फिर वृद्धि होने लगी है। देश में कल कोरोना वायरस संक्रमण के 58 नये मामले सामने आये। वहीं इलाजरत मरीजों की संख्या बढ़कर 318 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कल सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में कोविड-19 के संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या 5,33,298 है, जबकि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की कुल संख्या 4,50,01,944 है।
मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, संक्रमण से उबरने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़कर 4,44,68,328 हो गई है। वहीं, देश में संक्रमण से ठीक होने की दर 98।81 प्रतिशत, जबकि मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है। वेबसाइट के अनुसार, भारत में अब तक कोविड-19 रोधी टीकों की कुल 220.67 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं। केरल में इस समय 194 सक्रिय मामले हैं। यह देश के कुल मामलों का 61 फीसदी है। यह स्पष्ट नहीं है कि वायरस से गंभीर बीमार मरीजों की संख्या बढ़ी है। हालांकि राज्य सरकारों ने चौकसी बरतनी शुरू कर दी है।
कोच्चि के राजगिरि अस्प्ताल में नवंबर में की गई 141 जांच में 7.09 फीसदी में कोविड संक्रमण मिला। आंकड़े साझा करते हुए नैशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष राजीव जयदेवन ने कहा कि बीते अगस्त में संक्रमित मरीजों की संख्या बहुत कम 1.4 फीसदी थी। सितंबर में इसमें 2 फीसदी और अक्टूबर में 2.22 फीसदी का इजाफा हुआ। जयदेवन कहते हैं कि कोरोना मामलों में बढ़ोतरी कोई बड़ी बात नहीं है। इस समय अकादमिक एवं निगरानी केंद्रों के बाहर परीक्षण नहीं हो रहे हैं।
केरल सरकार के सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार कोरोना के बढ़ते मामलों पर नजर बनाए हुए है। जयदेवन ने बताया कि कोविड धीरे-धीरे वापसी कर रहा है, लेकिन इसमें चौंकने जैसी कोई बात नहीं है।
संक्रमण के मामले बहुत कम हैं और कहीं से भी कुछ गंभीर घटित होने की खबर नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविड टेस्ट कम हो रहे हैं। परी दुनिया में हम इस समय इनफ्लूएंजा के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। कुछ जगहों पर डेंगू भी फैल रहा है। विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि ओमिक्रोन बीए। 2।86 वैरिएंट और जेएन। 1 समेत इसका सब-वैरिएंट चिकित्सा जगत के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। जेएन।1 टीके को भी चकमा दे रहा है। केरल के अलावा, उत्तर प्रदेश में कोरोना के 61, ओडिशा में 55, महाराष्ट्र में 13 और तमिलनाडु में 18 मामले दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार राज्य में साप्ताहिक सक्रिय मामलों में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। नवंबर के पहले सप्ताह में राज्य में जहां कोरोना का एक भी मरीज नहीं था, वहीं 22 से 28 नवंबर के बीच दस मामले दर्ज किए गए।
मुबई के चेम्बूर स्थित एसआरवी अस्पताल की क्रिटिकल केयर सलाहकार डॉ। रूपकथा सेन ने कहा कि उन्होंने कोरोना पीड़ित अंतिम मरीज छह महीने पहले देखा था। कोविड अब एक गंभीर बीमारी नहीं रह गई है, लेकिन टीके से मिली इम्यूनिटी कमजोर पड़ रही है। बहुत से लोगों ने बूस्टर डोज भी नहीं लगवाई और जिन्होंने लगवाई भी, उन्हें लगभग एक साल हो गया। इसलिए खासकर सर्दी के सीजन में कोरोना के मामलों में कुछ वृद्धि हो सकती है। डॉ रूपकथा ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है। चीन में निमोनिया के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने अस्पतालों में संकट से निपटने के लिए पूरी तैयारी रखने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। डॉ सेन कहती हैं कि जब इनफ्लूएंजा (एच 1 एन 1 या अन्य वायरस) से पीड़ित मरीज अस्पताल में भर्ती किया जाता है, तो उसे पांच दिन तक पृथकवास (क्वारंटीन) में रखा जाता है, ताकि चिकित्सा कर्मियों एवं अन्य मरीजों में संक्रमण न फैले।
आईसीयू में ऐसे मरीजों के लिए अलग व्यवस्था की जाती है। वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट जैकब जॉन कहते हैं कि वायरस के स्ट्रेन अपना रूप बदल रहे हैं, लेकिन ओमीक्रोन का सब- वैरिएंट प्रचलन में है। कुछ स्ट्रेन इम्यूनिटी को चकमा दे सकते हैं, लेकिन हालात गंभीर होने की संभावना नहीं है। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में काफी देर बाद कोरोना से किसी की मौत हुई ह। शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में कल कोरोना पॉजिटिव महिला की मौत हो गई। हालांकि महिला अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थी। जिसके चलते अब अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए हैं।
जानकारी के अनुसार, 60 साल की महिला मरीज को 22 नवंबर को आईजीएमसी में दाखिल किया गया था। कोरोना के लक्षणों को देखने के बाद उसे मेक शिफ्ट आईजीएमसी में रखा गया था जिसके बाद महिला की हालात गंभीर होने के चलते कल दोपहर के बाद उसने दम तोड़ दिया। बता दें कि महिला को कोरोना की दोनों वैक्सीन के अलावा बूस्टर डोज भी लगी थी। हैरानी की बात है की आईजीएमसी शिमला में 42 दिन बाद किसी कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत हुई है। इससे पहले भी, 10 अक्तूबर को आईजीएमसी अस्पताल में दो कोरोना मरीजों की मौत हुई थी। हिमाचल प्रदेश में अब तक कुल 5.19 लाख से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं और इसके साथ ही अब तक कोरोना से 4214 लोगों की मौत हो चुकी है। मालूम हो कि केरल में एक डॉक्टर का पूरा परिवार हाल के दिनों में कोविड-19 से संक्रमित हो गया। पहले अधेड़ उम्र के डॉक्टर को संक्रमण हुआ और उसके बाद पत्नी एवं फिर उनके माता-पिता भी इसकी चपेट में आ गए। बुजुर्ग माता-पिता को तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। डॉक्टरों का कहना है कि टीके से मिली इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा) अब कमजोर पड़ रही है। दूसरे, सर्दी का मौसम भी मामलों में बढ़ोतरी का कारण बन रहा है।