नागरकुरनूल। बीते रोज तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में सुरंग का एक हिस्सा गिरने से करीब 14 किमी अंदर 8 श्रमिक फंस गए हैं। उन्हे निकालने के लिए सेना और एनडीआरएफ की टीम जुटी हुई है। आठ श्रमिक अभी भी इसके अंदर फंसे हुए हैं। इसके अलावा, सेना ने भी बचाव कार्यों के लिए अपने इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) को तेजी से तैनात किया है। अधिकारियों ने बताया कि आधुनिक तकनीक से लैस ईटीएफ दुर्घटना स्थल पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियान चला रहा है।
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने यहां से लगभग 150 किलोमीटर दूर नागरकुरनूल जिले में दुर्घटना स्थल पर संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सरकार सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की भी मदद ले रही है।
फंसे हुए लोगों में से दो व्यक्ति इंजीनियर और दो ऑपरेटर हैं। चार अन्य मजदूर हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। सूत्रों ने बताया कि फंसे हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में ताजा हवा पहुंचाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को फोन कर घटना की जानकारी ली और बचाव अभियान के लिए केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और सेना का एक दल वहां पहुंच रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत कराया तथा बताया कि फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयास जारी हैं। विज्ञप्ति के मुताबिक रेड्डी ने यह भी बताया कि राज्य के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और जुपल्ली कृष्ण राव घटनास्थल पर मौजूद हैं और बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे हैं।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों का मार्गदर्शन करने के लिए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है, और सुरंग के 14 किलोमीटर पर ढांचा ढह गया है। हालांकि, उन्होंने बताया कि बचाव दल सुरंग की समग्र स्थिति को लेकर आशंकित हैं।
सूत्रों ने बताया, घटनास्थल पर बहुत सारा मलबा जमा हो गया है, इसलिए बचाव दल आगे बढ़ने और किसी भी संभावित खतरे का पता लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। बचाव अभियान पूरी रात जारी रहेगा। सूत्रों ने बताया कि टीमें अंदर जाने से हिचकिचा रही हैं, क्योंकि अंदर से अभी भी तेज आवाजें आ रही हैं।
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