भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार वर्ष 2023 में 17 बार कर्ज ले चुकी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में आठ बार कर्ज लिया गया। चुनाव आचार संहिता के दौरान भी सरकार ने तीन बार कर्ज लिया। मतगणना के चार दिन पहले भी सरकार ने 2000 करोड रुपए का कर्ज लिया था। विकास कार्य और खर्च पूरे करने के लिए कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है। यह सरकार हमेशा कहती रहती है। सरकार का खजाना खाली है। वेतन भक्तों और योजनाओं में जो राशि खर्च करनी है। उसके लिए सरकार के पास कर्ज लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
मुख्यमंत्री पद के लिए चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जो भी नई सरकार बनेगी। उसे तुरंत अनुपूरक बजट के माध्यम से वित्तीय व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही नई सरकार को शपथ लेते ही नए कर्ज भी लेने पड़ेंगे। मध्य प्रदेश का बजट साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसके साथ कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है।
चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने जो वादे किए हैं मउन वादों को पूरा करने के लिए भी अतिरिक्त राशि की जरूरत होगी। लाडली बहनो को अभी 1250 रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घोषणा के अनुसार अगले माह से 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने हैं। 450 रुपए में गैस सिलेंडर दिया जाना है। किसान सम्मान निधि के रूप में 6000 रुपये तथा सीखो कमाओ योजना के तहत युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और 10000 रुपये का स्टाय फंड दिया जाना है। इसके लिए भी बड़े पैमाने पर राशि की जरूरत होगी।जो भी नई सरकार आएगी,उसे सबसे पहले कर्ज लेकर ही वादे पूरे करने आगे बढ़ना पड़ेगा। बजट में इन सब के लिए राशि का प्रावधान करके नया बजट बनाने की एक चुनौती होगी।
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