सूत्रों की माने तो गले में सूजन, पैर में घाव समेत शरीर के कई हिस्सों में जख्म रहे हैं। पशु विशेषज्ञों की माने तो वन्यप्राणी भालू शर्मीले स्वभाव का होता है, पर गुरुवाही बीट में रेस्क्यू कर कब्जे में लिया गया। खूंखार भालू आक्रामक स्वभाव का हो गया था, जिस वजह से प्राथमिक दृष्ट्या रेबीज नामक बीमारी के लक्षण लक्षित होते हैं। हालांकि, सैंपलिंग ली गई है, रिपोर्ट आने पर मौत के कारण और स्पष्ट हो सकेंगे।
सूत्रों की माने तो रेस्क्यू के बाद ताला कैम्प्स में लाए गए खूंखार भालू का इलाज पशु चिकित्सक डॉ काजल जाधव कर रही थी। भालू की मौत के बाद इस मामले में यह भी बड़ा सवाल है कि भालू हमले में घायल लोगों को रेबीज बीमारी से जुड़ा इलाज किया गया है या नहीं। दरअसल, भालू, कुत्ते, लोमड़ी, सियार समेत कई जानवरों में रेबीज वायरस होने की आशंका होती है। इन परिस्थितियों में संक्रमित जानवरों के काटने से इंसानों में वायरस का प्रसार होने की संभावना बनी रहती है। इंसानों में इसका प्रभाव कई साल या कुछ महीनों में हो सकता है। भालू ने रेस्क्यू के दौरान हाथी पर भी हमला किया था, जिसे बाद में एंटीरेबीज इंजेक्शन दिया गया था।