संसद सुरक्षा में चूक : प्रतिरोध की बजाय मामले की गहराई में जाना जरूरी: पीएम मोदी

विपक्षी दलों के हंगामें से बने ग‎तिरोध के बीच प्रधनमंत्री मोदी ने मामले को गंभीर मानते हुए जताया दुख

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नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र के दौरान संसद सुरक्षा में हुई चूक पर ‎सत्तापक्ष के जवाबदेही को लेकर जारी विपक्षी दलों के हंगामें से बने ग‎तिरोध के पांचवे ‎दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मामले को गंभीर मानते हुए दुख जताया । एक साक्षात्कार में उन्होंने माना कि इस मामले की जांच स‎हित केस की गहराई में जाना जरूरी है।इंटरव्यू में पीएम मोदी ने घटना को बेहद दुखद और चिंताजनक बताते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर वाद-विवाद या प्रतिरोध के बजाय इसकी गहराई में जाना जरूरी है। ऐसा करने पर ही मामले का समाधान मिल सकेगा। पीएम मोदी ने कहा कि संसद में घटित हुई घटना की गंभीरता को कम करने नहीं आंका जाना चाहिए। स्पीकर महोदय ओम बिड़ला गंभीरता के साथ इस मामले को लेकर सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जांच एजेंसियों की तरफ से भी इस मामले की सख्ती से जांच की जा रही है। पीएम का कहना है कि इसके पीछे कौन से तत्व शामिल हैं। इसकी भी गहराई में जाना जरूरी है। एक साथ आकर समाधान ढूंढना होगा। ऐसे विषय पर प्रतिरोध से सभी को बचना चाहिए।
गौरतलब है ‎कि 13 दिसंबर के दिन जब देश संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी मना रहा था, तभी विजिटर्स पासधारी मनोरंजन डी और सागर शर्मा नामक दो लोग सदन की कार्यवाही देखने के बहाने सदन की दर्शकदीर्घा में पहुंच गये जो, दोपहर 1 बजे वहां से कूदकर सीधे सदन में पहुंच गए। इसके बाद जूतों में छिपाकर लाए गए स्मॉक बॉम्ब को स‎क्रिय कर सदन में धुआं फैला ‎दिया ‎‎जिससे उप‎स्थित लोगों के ‎लिए खतरा उत्पन्न हो गया। जिस वक्त सदन के भीतर ये सबकुछ हो रहा था, उस समय संसद के बाहर नीलम आजाद और अमोल शिंदे नाम के दो लोगों ने भी स्मॉक कैंडल जलाए और नारेबाजी की। पुलिस ने सांसदों की मदद से संबं‎धित आरो‎पियों को गिरफ्तार कर ‎लिया । उधर घटनाक्रम को मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहा मामले का मास्टरमाइंड ललित झा मौके से फरार हो गया। हालांकि, कुछ दिन पहले ही उसने पुलिस को सरेंडर किया है। इस मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा रहा है। इन दिनों शीतकालीन सत्र भी चल रहा है, मगर सुरक्षा चूक को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच कई बार सदन को स्थगित करना पड़ा है।

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