नई दिल्ली। सरकार की दो एजेंसियों द्वारा हाल ही में देश में सड़क हादसों में मरने वालों के आंकड़े जारी किए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि इन आंकड़ों में बड़ा अंतर मिला है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और सड़क परिवहन मंत्रालय ने हाल ही में अपने आंकड़े जारी किए, जिनमें साल 2022 में सड़क हादसों में मरने वालों के आंकड़ों में बड़ा अंतर है। दोनों एजेंसियों का डाटा की तुलना करने पर पता चला है कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने बताया कि साल 2022 में वाहनों की टक्कर से पैदल जा रहे 32,825 लोगों की जान गई। इस मामले में एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों से यह 32 फीसदी ज्यादा है।
दोनों एजेंसियों की रिपोर्ट में मिला बड़ा अंतर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रक में मरने वालों के डाटा में तो यह अंतर बढ़कर 42 फीसदी हो जाता है। इससे डाटा कलेक्शन सिस्टम को बेहतर करने की जरूरत मांग उठ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गड़बड़ी तब तक जारी रहेगी, जब तक डाटा इकट्ठा करने वाले लोगों की सही ट्रेनिंग नहीं होगी। सड़क परिवहन मंत्रालय के फील्ड स्टाफ की कम समझ के चलते ऐसी गड़बड़ियां होती हैं। पैदल जा रहे लोगों की वाहन की टक्कर से होने वाली मौतों का रिकॉर्ड दर्ज करने में अनियमितता होती है, जिससे डाटा की गड़बड़ी होती है। वहीं एनसीआरबी सीसीटीएनएस डाटा के साथ ही सड़क हादसों को रिकॉर्ड करने के लिए अलग प्रक्रिया अपनाता है।
ऐसे रहे साल 2022 के आंकड़े
बता दें कि साल 2022 में दोपहिया वाहनों से मरने वालों का आंकड़ा सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार 74,897 है, वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा 77,876 है। पैदल चल रहे लोगों का वाहनों की टक्कर से मरने वालों का आंकड़ा मंत्रालय के अनुसार 32,825 है, वहीं एनसीआरबी के अनुसार यह 24,742 है। कार और हल्के मोटर वाहनों के हादसों में मरने वालों की संख्या मंत्रालय के अनुसार 21,040 है तो एनसीआरबी के अनुसार 24,086 है। इस तरह मंत्रालय के अनुसार, कुल सड़क हादसे में साल 2022 में 1,68,491 लोग मारे गए। वहीं एनसीआरबी के अनुसार यह आंकड़ा 1,71,100 रहा।
विशेषज्ञ बोले ट्रेनिंग देने की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क परिवहन और गृह मंत्रालय के बीच समन्वय होना जरूरी है। इसके बाद ही देश में सड़क हादसों और उनसे होने वाली मौतों का सही डाटा मिल सकेगा। साथ ही सड़क हादसे की स्थिति से निपटने वाले पुलिसकर्मियों को भी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।