अफगानिस्तान में छठी कक्षा पास करते ही सदमें में आ जाती हैं छात्राएं

15

काबुल। जहां पढ़ाई में उत्साह होना चा‎हिए वहीं अफगा‎‎निस्तान में छठी कक्षा पास करते ही छात्राएं सदमें में आ जाती हैं। हालां‎कि साल भर पढ़ाई करने के बाद किसी कक्षा में उत्तीर्ण होना आमतौर पर छात्रों के लिए खुशी का सबब होता है लेकिन अफगानिस्तान में स्थिति इसके विपरीत है। यहां तालिबान के दमनकारी शासन में रह रही छात्राएं छठी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे नहीं पढ़ सकतीं। अफगानिस्तान की बहारा रुस्तम (13) काबुल स्थित बीबी रजिया स्कूल में 11 दिसंबर को आखिरी बार स्कूल गई। उसे पता है कि उसे अब आगे पढ़ने का अवसर नहीं दिया जाएगा। तालिबान के शासन में वह फिर से कक्षा में कदम नहीं रख पाएगी। दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के बलों के सितंबर 2021 में अफगानिस्तान से लौटने के एक महीने पश्चात तालिबान ने घोषणा की कि लड़कियों के छठी कक्षा से आगे पढ़ने पर प्रतिबंध होगा। महिलाओं के लिए दमनकारी तालिबानी कदमों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई और तालिबान को चेतावनी दी गई है कि इस प्रकार के प्रतिबंधों के कारण उसके लिए देश के वैध शासक के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा। इसके बावजूद तालिबान महिलाओं पर लगातार प्रतिबंध लगा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत रोजा ओटुनबायेवा ने पिछले हफ्ते चिंता व्यक्त की थी कि अफगान लड़कियों की एक पीढ़ी हर रोज पिछड़ती जा रही है। अफगान शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि सभी उम्र की अफगान लड़कियों को मदरसों में पढ़ने की इजाजत होगी। इन मदरसों में परंपरागत रूप से केवल लड़के ही पढ़ते हैं। काबुल में रहने वाली 13 वर्षीय सेतायेश साहिबजादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और अपने सपनों को साकार करने के लिए स्कूल नहीं जा पाने के कारण उदास है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.