पिछले पांच साल में कनाडा में सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों की मौतें, जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार ने जताई चिंता
ओटावा। कनाडा में 2018 के बाद से विदेशों में भारतीय छात्रों की मौतों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। इस पर कनाडा की जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार ने भी चिंता जताते हुए कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय छात्रों की स्थिति में सुधार के लिए कदम उठा रही है। कनाडा सरकार का लक्ष्य 2024-25 के शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से पहले इन नए एहतियाती कदमों को लागू करना है। कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा मामलों के सरकारी विभाग ने कहा है कि छात्रों से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के तरीके विकसित करने के लिए प्रांतों और शिक्षण संस्थानों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में यानी 2018 के बाद से विदेश में 403 भारतीय छात्रों की मौतें विदेश मंत्रालय ने दर्ज की हैं। इनमें से 91 भारतीय छात्रों की मौतें कनाडा में हुई है। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों में इन मौतों के लिए प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों सहित कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है। विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि कनाडा के बाद ब्रिटेन में 48, रूस में 40, अमेरिका में 36 और ऑस्ट्रेलिया में 35 छात्रों की मौतें दर्ज की गईं। फरवरी 2023 में विदेश मंत्रालय की ओर से राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018 और 2022 के बीच 5,67,607 भारतीय कनाडा में अध्ययन करने के लिए विदेश गए। इस दौरान करनाडा से ज्यादा छात्र सिर्फ अमेरिका पढ़ने के लिए गए। 2018 से 2022 के बीच अमेरिका में सबसे ज्यादा 6,21,336 भारतीय छात्र गए।
अमेरिका और कनाडा के बाद तीसरे नंबर पर 3,17,119 छात्र यूके में पढ़ने के लिए गए। आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) के मुताबिक, 2024 में कनाडाई सरकार नामित शिक्षण संस्थानों की पहचान करने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए एक मान्यता प्राप्त ढांचे को अपनाने जा रही है। नामित शिक्षण संस्थानों में आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय छात्र सलाहकार होते हैं, जो सेवाओं की सुविधा प्रदान करते हैं और अपने छात्रों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी और आवश्यकतानुसार अन्य सहायता प्रदान करके उन्हें जोड़ने में मदद करते हैं। डीएलआई के पास अक्सर अपने स्वयं के आवास और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाएं होती हैं जिनसे अंतरराष्ट्रीय छात्र लाभ उठा सकते हैं। आईआरसीसी ने मानसिक स्वास्थ्य या अन्य मुद्दों से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति से अपने शिक्षण संस्थान या समुदाय में उपलब्ध सहायता सेवाओं की तलाश करने या राष्ट्रीय हॉटलाइन से संपर्क करने का आग्रह किया है।