दो जजों की लड़ाई से सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, लगा दी सीबीआई जांच के आदेश पर रोक

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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों में कथित फर्जीवाड़े की जांच कराने और न कराने को लेकर दो जज आमने सामने हो गए। एक ने सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया तो दूसरी ने जांच पर रोक लगा दी। अंतत: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट में सिंगल जज और डिवीजन बेंच की सुनवाई पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सिंगल जज के सीबीआई जांच के आदेश पर भी रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बंगाल सरकार और हाईकोर्ट के याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया है। अदालत अब इस मामले पर 29 जनवरी को सुनवाई करेगा. दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपने ही एक साथी जज पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया।

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की अध्यक्षता वाली कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने एक आदेश पारित किया था। पीठ के आदेश में पश्चिम बंगाल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस उम्मीदवारों के दाखिले में कथित अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाया था। साथ ही उन्होंने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने एमबीबीएस उम्मीदवार इतिशा सोरेन द्वारा दायर याचिका पर पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में एमबीबीएस उम्मीदवारों के प्रवेश में कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने का निर्देश देते हुए कहा था कि उसे राज्य पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है। याचिका पश्चिम बंगाल में मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने से जुड़ी थी। जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया कि राज्य की पुलिस इससे जुड़े जांच के पेपर सीबीआई को सौंप दें और आगे की जांच सीबीआई करेगी। बाद में, पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ का रुख किया। इसके बाद न्यायमूर्ति सौमेन सेन और उदय कुमार की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले की सीबीआई जांच के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ के आदेश पर रोक लगा दी।

अपने आदेश पर रोक से न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय भड़क गए। उन्होंने गुरुवार को कहा कि न्यायमूर्ति सौमेन की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए। इसके बाद जस्टिस अभिजीत ने जस्टिस सोमेन पर गंभीर आरोप लगा दिए। उन्होंने सांकेतिक रूप से कहा कि उनका संपर्क टीएमसी से है। हालांकि जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीधा टीएमसी का नाम नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि वह अपने निजी फायदे या फिर किसी नेता के फायदे के लिए इस तरह का फैसला सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए, अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा सोचता है तो न्यायमूर्ति सेन के नेतृत्व वाली पीठ द्वारा पारित आदेशों पर फिर से गौर करने की आवश्यकता है। जस्टिस अभिजीत ने अपने आदेश में ये भी कहा कि सीबीआई जांच के स्थगन को लेकर कोई लिखित अपील तक दायर नहीं की गई ऐसे में रोक का आदेश कैसे किया जा सकता है। जस्टिस अभिजीत ने अपने फैसले की कॉपी कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और सीजेआई को भेजने का भी आदेश दिया था। दरअसल खंडपीठ के सामने बंगाल सरकार ने मौखिक अनुरोध किया था। इसपर ही खंड पीठ ने जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश पर स्थगन आदेश दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने गुरुवार को सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर भी रद्द कर दी। अब प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की संविधान पीठ शनिवार को इस पर सुनवाई करने वाली है।

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