भारत में लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते, शहरी इलाकों शराब पीने में महिलाएं भी आगे

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देश के कई राज्य हैं, जहां पर लोग नशीले पदार्थों का सेवन खूब करते हैं। पिछले कुछ सालों में पंजाब, केरल, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी तंबाकू, अफीम, गांजा और शराब जैसे नशा का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी है। कमोबेश भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में नशीली पदार्थों का प्रयोग होता है। नेशनल ड्रग विभाग ट्रीटमेंट (एनडीडीटी) की रिपोर्ट कहती है कि भारत में लगभग 16 करोड़ लोग सिर्फ शराब का नशा करते हैं। इसमें बड़ी संख्यां में शहरी महिलाएं शामिल हैं। यूपी-बिहार जैसे राज्यों में भी लोग अलग-अलग प्रकार के नशा करते हैं। बिहार में जहां लोग खैनी का सेवन ज्यादा करते हैं। वहीं यूपी में तंबाकू से जुड़े उत्पादों का प्रचलन खूब है। मोदी सरकार ड्रग डिमांड रिडक्शन योजना के तहत हर साल तकरीबन 100 करोड़ रुपये खर्च करती है।

इसके तहत केंद्र सरकार नशीले पदार्थों का उपयोग करने वालों के लिए पुनर्वास केंद्रों, किशोरों को नशीले पदार्थों के उपयोग की रोकथाम के लिए सीपीएलआई योजना, आउटरीच और ड्रॉप इन सेंटर एवं जिला नशामुक्ति केंद्रों के संचालन और रखरखाव के लिए एनजीओ के जरिए हर साल मदद देती है। साल 2022-23 वित्तीय वर्ष में मोदी सरकार ने तकरीबन 100 करोड़ देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिए। आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को 2022-23 वित्तीय वर्ष में तकरीबन 4 करोड़ रुपये दिए गए। वहीं असम को 4.37 करोड़ रुपये जारी किए गए। बिहार को 1.84 करोड़ रुपये दिए गए। इसतरह कर्नाटका को साल 2022-23 वित्तीय वर्ष के दौरान 9 करोड़ रुपये दिए गए। मणिपुर को 8 करोड़, ओड़िशा को 9.31 करोड़ रुपये दिए गए। तमिलनाडु को 5.19 करोड़ रुपये दिए गए। वहीं साल 2022-23 में आंध्र प्रदेश को 3.99 करोड़ रुपये केंद्र ने दिए। गुजरात को 2.53 करोड़, हरियाणा को 2.03 करोड़, कर्नाटक को 9 करोड़, केरल को 3.54 करोड़ रुपये दिए गए। मध्य प्रदेश को 3.50 करोड़, महाराष्ट्र को 9.88 करोड़, मणिपुर को 8 करोड़ रुपये मिले। राजस्थान को 4.87 करोड़ और पंजाब को 1.01 करोड़ रुपये दिए गए। मोदी सरकार के मंत्रालय के अनुसार देश में जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा नशामुक्ति केंद्रों की संख्या है। देश की 66 नशामुक्ति केंद्रों में 18 नशामुक्ति केंद्र सिर्फ जम्मू-कश्मीर में है। भारत की अलग-अलग एजेंसियों से जुड़े रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ड्रग्स का अवैध कारोबार लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का है।

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