बिहार में एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज पारस ने पीएम को शुक्रिया कहा और केंद्रीय मंत्री पद से दिया इस्तीफा

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नई दिल्ली। एनडीए के गठबंधन में आरएलजेपी को एक भी सीट नहीं मिलने से पार्टी प्रमुख पशुपति पारस भड़क गए। उन्होंने सीट बंटवारे के दूसरे ही दिन तेस में आकर केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की घोषणा की है। पारस की एनडीए में सीटों को लेकर क्यों बात नहीं बनी इसको लेकर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। महज 2 मिनट से भी कम समय में उन्होंने अपनी बात कही और पत्रकारों के सवाल का जवाब दिए बगैर ही निकल गए। उन्होंने कहा कि मैंने बिहार में सीटों को लेकर इंतजार किया। मैंने ईमानदारी के साथ एनडीए की सेवा की। मैं पीएम का शुक्रगुजार हूं। मैं कैबिनेट मंत्री से त्याग पत्र देता हूं। पारस किस खेमे का रूख करेंगे इसको लेकर उन्होंने कुछ नहीं कहा।

इससे पहले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि हमारी पीठ में छूरा घोंपा गया है। हमारे साथ अन्याय हुआ है। आरजेडी से संपर्क में होने के सवाल पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि हमलोग राजनीति में भजन कीर्तन करने नहीं आए हैं। सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर ये भी है कि हाजीपुर से पशुपति कुमार पारस चुनाव लड़ेंगे। पशुपति कुमार पारस इस सीट से अपने भतीजे चिराग पासवान के खिलाफ लड़ेंगे। चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन का दरवाजा खटखटा रहे पारस ने महागठबंधन में समस्तीपुर और नवादा सीटें भी मांगी हैं लेकिन उनकी महागठबंधन में एंट्री आसान नहीं दिख रही हैं।

सूत्रों के मुताबिक आरजेडी से उनकी बातचीत जारी है। पशुपति पारस दलित सम्मान का मुद्दा उठाने की तैयारी में हैं। एनडीए में अपने साथ हुए अन्याय को लेकर जनता के बीच जाने की पारस की तैयारी है। मालूम हो कि सोमवार की शाम बिहार की सीटों को लेकर एनडीए में बंटवारा हो गया है। पशुपति पारस जिनकी पार्टी में फिलहाल 5 सांसद हैं को बिहार में एक भी सीटें नहीं मिली हैं। पारस के खाते की सभी सीटें उनके भतीजे चिराग पासवान को दे दी गई हैं। पशुपति कुमार पारस केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। दरअसल, बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटों के बंटवारे का ऐलान हो चुका है। बंटवारे के तहत, बीजेपी एक बार फिर बड़े भाई की भूमिका में आ गई है। बीजेपी बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं जेडीयू के खाते में 16 सीटें आई हैं। अन्य सहयोगी दलों की बात करें तो चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5, जीतनराम मांझी की पार्टी हम को 1 तथा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को एक सीट मिली है। लेकिन इसमें पशुपति पारस की आरएलजेपी को एक भी सीट नहीं दी गई है।

चिराग पासवान को इस बार 5 लोकसभा सीटें मिली हैं, जिनमें वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई शामिल हैं। हालांकि, फिलहाल इन पांचो सीटों से पशुपति पारस की पार्टी के नेता सांसद हैं। दरअसल रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा में फूट पड़ गई थी। पार्टी में फूट पड़ने के बाद लोजपा के दो गुट हो गए, जिनमें एक गुट के मुखिया पशुपति पारस हैं और दूसरे गुट के मुखिया चिराग पासवान हैं। चिराग पासवान फिलहाल खुद जमुई से सांसद हैं। वहीं लोजपा के अन्य सांसदों की बात करें तो हाजीपुर सीट से पशुपति पारस, खगड़िया से महबूब अली कैसर, वैशाली से वीना देवी और समस्तीपुर से प्रिंस राज राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद हैं।

पशुपति पारस भतीजे चिराग को बीजेपी से मिल रही तवज्जो से लगातार असहज महसूस कर रहे थे। कुछ दिन पहले उन्हें इस बात की भनक लग गई थी कि उनकी पार्टी को एनडीए में एक भी सीट नहीं मिलने जा रही है। इसके बाद पशुपति पारस ने पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा, हम बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह करते हैं कि हमारे पांचों सांसदों पर विचार करें। हम सूची का इंतजार करेंगे।पशुपति पारस ने काफी प्रयास किए कि उन्हें एनडीए गठबंधन में कुछ सीटें मिल जाए। इसके लिए उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा था,अगर हमें उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो हमारी पार्टी स्वतंत्र है और हमारे दरवाजे खुले हैं। हम कहीं भी जाने को तैयार रहेंगे। अब जब सीटों के बंटवारे का ऐलान हो चुका है तो उनकी नाराजगी भी खुलकर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इस फैसले के बाद पशुपति पारस इंडिया ब्लॉक के साथ जाने की संभावनाओं पर भी विचार कर रहे हैं।

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