नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर की है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘अनुच्छेद 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला ऐतिहासिक है। जिसमें भारतीय संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले की संवैधानिकता बरकरार रखी गई है। यह उम्मीदों, विकास और जम्मू कश्मीर, लद्दाख के हमारे भाई-बहनों की एकता की गूंज है। अदालत ने हमारी एकता के मूल के सार को मजबूत किया है, जिसे हम भारतीय सबसे ऊपर रखते हैं।
‘एक मजबूत और एकजुट भारत बनाएंगे’
पीएम मोदी ने लिखा, ‘मैं जम्मू कश्मीर और लद्दाख के जुझारू लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि आपके सपने पूरे करने का हमारा वादा पूरा करेंगे। हम इस बात के लिए समर्पित हैं कि तरक्की ना सिर्फ आप तक बल्कि समाज के हर उस पिछड़े तबके तक पहुंचे, जिन्हें अनुच्छेद 370 की वजह से काफी कुछ झेलना पड़ा। आज का फैसला सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं है बल्कि यह आशा की किरण है। यह उज्जवल भविष्य का वादा है और हमारे उन एकजुट प्रयासों का सबूत है, जिनसे हम एक मजबूत और एकजुट भारत बनाएंगे।’
गृहमंत्री अमित शाह ने दी प्रतिक्रिया
पीएम मोदी ने लिखा, ‘मैं जम्मू कश्मीर और लद्दाख के जुझारू लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि आपके सपने पूरे करने का हमारा वादा पूरा करेंगे। हम इस बात के लिए समर्पित हैं कि तरक्की ना सिर्फ आप तक बल्कि समाज के हर उस पिछड़े तबके तक पहुंचे, जिन्हें अनुच्छेद 370 की वजह से काफी कुछ झेलना पड़ा। आज का फैसला सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं है बल्कि यह आशा की किरण है। यह उज्जवल भविष्य का वादा है और हमारे उन एकजुट प्रयासों का सबूत है, जिनसे हम एक मजबूत और एकजुट भारत बनाएंगे।’
गृहमंत्री अमित शाह ने दी प्रतिक्रिया
गृह मंत्री अमित शाह ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘मैं अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। 5 अगस्त 2019 को पीएम मोदी ने एक दूरदर्शी फैसला लेते हुए अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला किया। उसके बाद से जम्मू कश्मीर में शांति लौटी है। विकास और तरक्की से घाटी में मानव जीवन को नए मायने मिले हैं, जो कि एक समय हिंसा से तहस-नहस हो गए थे। पर्यटन से समृद्धि और कृषि क्षेत्र से जुड़े जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों की आय बढ़ी है। आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया है कि अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला पूरी तरह से संवैधानिक था।’