नई सरकार के बनते ही अब भाजपा अध्यक्ष के नाम पर होने लगी चर्चा

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नई दिल्ली। नई सरकार में जेपी नड्डा के शामिल होते ही बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा शुरू हो गई। जेपी नड्डा के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ बीजेपी को एक नया पार्टी अध्यक्ष चुनना होगा। पिछले दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्षों की नियुक्ति में पार्टी का एक पैटर्न रहा है। 2014 में जब तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह केंद्रीय मंत्री बने तो उनके बाद पार्टी की कमान अमित शाह को मिली। 2019 में जब अमित शाह केंद्रीय मंत्री बने उसके बाद जेपी नड्डा को जून 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह जनवरी 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बने। इस साल जनवरी में अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें छह महीने का विस्तार दिया गया।
वहीं चर्चा इस बात की भी है कि यूपी जहां पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं है क्या वहां से किसी को पार्टी की कमान मिल सकती है। लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं था ऐसे में नए अध्यक्ष की नियुक्ति में संघ की रजामंदी भी काभी मायने रखती है। पिछली सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रहे अनुराग ठाकुर को इस बार मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।अब चर्चा नए नामों के लेकर है कि कौन पार्टी की कमान संभालेगा। पहले पार्टी अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चर्चा में थे उन्हें अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा चुका है। एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे नेताओं के नाम की चर्चा चल रही थी। लेकिन इन सभी नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है।
अब इस पूरे घटनाक्रम के बाद बीजेपी को पार्टी संगठन के अंदर झांकने की जरूरत पड़ गई है। इस पद के लिए दो नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और सुनील बंसल। विनोद तावड़े, महाराष्ट्र से आते हैं और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने से पहले राज्य सरकार में मंत्री थे। वर्तमान में वह बिहार के प्रभारी हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान कई प्रमुख जिम्मेदारी संभाल रहे थे।सुनील बंसल के नाम की भी चर्चा है। सुनील बंसल जब यूपी के प्रभारी थे तब उनके काम की काफी चर्चा हुई। यूपी के बाद,बंसल को पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान बंसल ने देश भर में कॉल सेंटरों को भी संभाला, फीडबैक एकत्र किया और जमीन पर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया। बंसल ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का विश्वास जीता है और पार्टी मामलों को सावधानीपूर्वक संभालने का हुनर उनके पास है।

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